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Mysterious Temple: केरल के इस मंदिर में होता है पालतू कुत्तों का नामकरण, शनिवार और रविवार को जुटती है भीड़ 

Muthappan Temple: केरल के इस मंदिर में एक अजीबोगरीब प्रथा निभाई जाती है, यहां पर लोग अपने पालतू कुत्ते का नामकरण कराने के लिए लेकर आते हैं.

Mysterious Temple: केरल के इस मंदिर में होता है पालतू कुत्तों का नामकरण, शनिवार और रविवार को जुटती है भीड़ 

केरल के इस मंदिर में होता है पालतू कुत्तों का नामकरण

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डीएनए हिंदीः वैसे तो देश में कई ऐसे मंदिर (Famous Temple) और धार्मिक स्थल हैं जो अपनी अजीबोगरीब परंपराओं और रीति रिवाजों की वजह से प्रसिद्ध हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर (Unique Temple Of India) के बारे में बताने वाले हैं, जहां की प्रथा के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. दरअसल, केरल के कन्नूर (Kerala Kannur) जिले में स्थित मुथप्पन मंदिर (Muthappan Temple) में लोग अपने कुत्तों का नामकरण कराने के लिए लेकर आते हैं. भारत के दक्षिण प्रान्तों में बने अधिकांश मंदिरों और उनके रीति रिवाजों के बारे में उत्तर भारतीयों को कम ही पता होता है. तो आइए जानते हैं केरल के इस अनोखे मंदिर के बारे में. 

मुथप्पन मंदिर में किया जाता है कुत्तों का नामकरण

केरल राज्य के कन्नूर, तालीपरम्बा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर वलपत्तनम नदी के किनारे स्थित मुथप्पन मंदिर में दूर-दराज इलाके से लोग अपने पालतू कुत्तों का नामकरण कराने के लिए लेकर आते हैं. इस मंदिर में तिरुवप्पन वेल्लट्टम परंपरा के दौरान कुत्तों को नामकरण किया जाता है. मंदिर प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार यहां पर कुत्तों का नामकरण समारोह आयोजित किया जाता है. जिसके लिए किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाती है.

शनिवार और रविवार के दिन रहती है भीड़

इस मंदिर में तिरुवप्पन वेल्लट्टम परंपरा के समय कोई भी व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते ला सकता है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को भीड़ काफी बढ़ जाती है. इस मंदिर के पुजारी को मुथप्पन तेय्यम कहा जाता है और नामकरण के दौरान पुजारी कुत्ते के कान में कुछ फुसफुसाते हैं और फिर उसें प्रसाद खिलाते हैं. जिसके बाद तेय्यम पालतू जानवर को उसके मालिक को सौंप देते हैं.

चढ़ती है ताड़ी और भुनी हुई मछलियां

मंदिर में विराजमान मुथप्पन को गरीबों और मेहनतकश जनता के भगवान माना जाता है. पूजा के दौरान भगवान मुथप्पन को ताड़ी और भुनी हुई मछली चढ़ाई जाती है. यहां के लोग उन्हें इसी का भोग लगाते हैं. कुत्तों को मुथप्पन देव का साथी माना जाता है. यही कारण है कि इस मंदिर में कुत्ते भी पूजनीय हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो भगवान मुथप्पन धर्मनिरपेक्ष देवता हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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