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प्रेग्नेंट हुआ था ये राजा और दिया था बेटे को जन्म

रघुवंश कुल के इस राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए एक यज्ञ करवाया था. इसके बाद एक चूक हुई जिसके चलते राजा ने गर्भधारण कर लिया.

प्रेग्नेंट हुआ था ये राजा और दिया था बेटे को जन्म

राजा ने खुद दिया था अपने पुत्र को जन्म

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डीएनए हिंदी: एक राजा ने अपना पुत्र पैदा किया. यह बात सुनने में काफी अजीब लगती है. आप कहेंगे कि साइंस कुछ भी कमाल कर सकता है. आज के समय में कुछ भी नामुमकिन नहीं लेकिन हम आज की नहीं बल्कि पौराणिक काल की बात कर रहे हैं. यह घटना श्रीराम के कुल के एक राजा युवनाश्व की है जिन्होंने खुद गर्भधारण कर अपनी संतान को जन्म दिया था. इनका पुत्र 'चक्रवर्ती सम्राट मांधाता' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था.

रघुवंश कुल के राजा युवनाश्व की कोई संतान नहीं थी. वह अपने कुल और राज्य की वृद्धि को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे. उन्हें लगता था कि उनके जाने के बाद कोई उनका नाम लेने वाला नहीं होगा. अपने वंश को आगे बढ़ाने और पुत्र की कामना लिए उन्होंने सारा राज-पाठ छोड़कर कर वन में जाकर तपस्या करने का फैसला किया. वन में उनकी मुलाकात महर्षि भृगु के वंशज च्यवन ऋषि से हुई.

च्यवन ऋषि ने राजा युवनाश्व को पुत्र प्राप्ति के लिए एक यज्ञ करने का सुझाव दिया. ऋषि के कहने पर राजा ने ऐसा ही किया. इस यज्ञ के बाद च्यवन ऋषि ने राजा को एक मटका दिया. इस मटके में अभिमंत्रित जल भरा था. यह जल राजा की पत्नी के लिए था ताकि वह गर्भधारण कर सके. राजा ने ऋषि से मटका लिया और सुरक्षित जगह पर रख दिया. अब जैसे-जैसे रात होने लगी सभी आराम करने की मुद्रा में आए गए. लंबे यज्ञ की थकान सब पर चढ़ने लगी और सभी गहरी नींद में सो गए. देर रात प्यास से राजा की आंखें खुली. उन्होंने पानी के लिए पुकारा लेकिन किसी ने उनकी आवाज़ नहीं सुनी.

राजा की जब किसी ने मदद नहीं की तो वह खुद ही पानी की तलाश में इधर-उधर देखने लगे. इतने में राजा की नज़र उस मटके पर पड़ी जिसमें अभिमंत्रित जल रखा था. फिर क्या था नींद में चूर राजा को यह याद नहीं रहा कि जल का महत्व क्या है. उन्होंने मटका उठाया और जल पी लिया. यह बात जब ऋषि च्यवन को पता चली तो उन्होंने राजा से कहा कि उनकी संतान अब उन्हीं के गर्भ से जन्म लेगी.

समय बीता और जब बच्चे के जन्म का समय आया तो दैवीय चिकित्सकों और अश्विनी कुमारों ने राजा की कोख को चीरकर बच्चे को बाहर निकाला. अब जब बच्चा पैदा हुआ तो उसकी भूख को लेकर सवाल हुआ. ऐसे में इंद्र आगे आए उन्होंने अपनी उंगली शिशु के मुंह में रखी और उनकी उंगली से दूध बहने लगा. बच्चे को देखते हुए इंद्र बोले 'मम धता'. इसका मतलब है 'मैं इसकी मां हूं'. इस वजह से इस बच्चे का नाम ममधाता पड़ा. ममधाता एक महान राजा बने और कई राज्यों पर राज्य किया. वह अपनी न्यायप्रियता और धर्म के पालन के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध हुए.

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