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Vijaya Ekadashi 2023: आज है विजया एकादशी का व्रत, ब्रह्म देव ने नारद को सुनाई थी प्रभु श्रीराम की कहानी, जानें विजय एकादशी की कथा

Vijaya Ekadashi 2023: विजया एकादशी पर विधिवत पूजन और व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही कार्यों में सफलता मिलती है.

Vijaya Ekadashi 2023: आज है विजया एकादशी का व्रत, ब्रह्म देव ने नारद को सुनाई थी प्रभु श्रीराम की कहानी, जानें विजय एकादशी की कथा

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: आज विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) का व्रत रखा जाएगा. हिंदू धर्म में सभी एकादशी तिथियों का अपना-अपना विशेष महत्व होता है. विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) को विजय प्राप्ति के उपाय करने के लिए शुभ माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी लंका विजय से पहले विजय एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) का व्रत व पूजन किया था. विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) पर विधिवत पूजन और व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही कार्यों में सफलता मिलती है. विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) पर ब्रह्मा जी ने नारद को भगवान श्रीराम की कहानी सुनाई थी. तो चलिए आज विजया एकदाशी (Vijaya Ekadashi 2023) पर हम इस व्रत की कथा (Vijaya Ekadashi Katha) के बारे में जानते हैं. 

विजया एकादशी 2023 व्रत कथा (Vijaya Ekadashi 2023 Vrat Katha)
भगवान श्रीकृष्ण से एक बार युधिष्ठिर ने इस एकादशी व्रत के बारे में पूछा था. भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था कि फाल्गुन माह की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहते हैं. विजया एकादशी पर कार्यों की सफलता के लिए व्रत करते हैं. विजया एकादशी का व्रत करने से पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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ब्रह्मा जी ने नारद को सुनाई थी विजया एकादशी की कथा
ब्रह्म देव ने नारद को बताया कि त्रेता युग में जब श्री राम अपने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए गए थे. तब मां सीता के हरण के के बाद उन्होंने हनुमान की मदद से मां सीता को खोज लिया था. श्रीराम मां सीता को लेने के लिए समुद्र पार करने के बारे में सोच रहे थे तभी लक्ष्मण जी ने उन्हें बकदालभ्य ऋषि के बारे में बताया था. प्रभु श्रीराम ने बकदालभ्य ऋषि के आश्रम जाकर उनसे समुद्र पार करने के बारे में सुझाव मांगा था. बकदालभ्य ऋषि ने ही प्रभु श्री राम को फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष एकादशी पर व्रत करने के बारे में बताया था. बकदालभ्य ऋषि ने बताया था कि आप अपने अनुज, सेनापति और सभी प्रमुख सेनिकों के साथ यह व्रत कर सकते हैं. इससे आपकी समस्या का समाधान होगा और लंका पर विजय प्राप्त होगी. 

बकदालभ्य ऋषि के बताएं व्रत के बाद मिली थी लंका पर विजय
प्रभु श्रीराम ने बकदालभ्य ऋषि के बताएं अनुसार अपने सभी सहयोगियों के साथ विधिपूर्वक व्रत किया था. विजया एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से ही समुद्र पार कर सभी लंका पहुंच गए थे. प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर और मां सीता का वापस लेकर ही अयोध्या लौटे थे. विजया एकादशी पर व्रत करने से सभी मनुष्यों के कार्य पूर्ण होते हैं. ब्रह्म देव ने नारद को बताया था कि विजया एकादशी का व्रत करने से सभी कार्य में सफलता मिलती है और कठिन कार्य भी पूरे होते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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