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अफगानिस्तान: क्या फिर से दफ्तर और स्कूल-कॉलेज जा सकेंगी महिलाएं? तालिबान ने दिया बड़ा बयान

तालिबान के विदेश मंत्री ने दावा किया कि उन्होंने अपने विरोधियों को निशाना नहीं बनाया है, बल्कि एक आम माफी की घोषणा की और कुछ सुरक्षा भी प्रदान की.

अफगानिस्तान: क्या फिर से दफ्तर और स्कूल-कॉलेज जा सकेंगी महिलाएं? तालिबान ने दिया बड़ा बय��ान

Representational Image (Twitter-ANI)

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डीएनए हिंदी: अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से ही उसपर लगातार महिलाओं व अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के आरोप लग रहे हैं, जिन्हें उसकी तरफ से खारिज भी किया जा रहा है. हालांकि तालिबान की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए आमिर खान मुत्तकी ने एक साक्षात्कार में कहा कि तालिबान, महिलाओं तथा लड़कियों की शिक्षा तथा नौकरियों के लिए सैद्धांतिक रूप से प्रतिबद्ध है. साथ ही, उन्होंने देश के लाखों लोगों की जरूरत की इस घड़ी में मदद करने के लिए दुनिया से "दया एवं सहानुभूति" दिखाने की अपील की.

मुत्तकी ने AP को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि तालिबान सरकार सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहती है और अमेरिका से उसे कोई समस्या नहीं है. उन्होंने अमेरिका और अन्य देशों से 10 अरब डॉलर की उस राशि को जारी करने की अपील की, जिस पर 15 अगस्त को तालिबान के अफगानिस्तान को अपने कब्जे में लेने के बाद देश में तेजी से सैन्य हमले बढ़ने और अमेरिका समर्थित राष्ट्रपति अशरफ गनी के अचानक, गुप्त रूप से देश छोड़ देने के बाद रोक लगा दी गई थी.

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बीचों-बीच पीली ईंटों से बनी विदेश मंत्रालय की इमारत में अपनी स्थानीय भाषा पश्तो में बात करते हुए मुत्तकी ने कहा, "अफगानिस्तान को अस्थिर करना और अफगानिस्तान की सरकार को कमजोर बनाना किसी के भी पक्ष में नहीं है."

मुत्तकी ने तालिबान द्वारा लड़कियों की शिक्षा और कार्यबल में महिलाओं पर थोपी गई पांबदियों पर दुनिया के आक्रोश को स्वीकार किया.

अफगानिस्तान के कई हिस्सों में, तालिबान के सत्ता में आने के बाद से सातवीं से 12वीं कक्षा की उच्च विद्यालय की छात्राओं को स्कूल जाने की अनुमति नहीं दी गई है और कई महिला सिविल सेवकों को भी घर पर रहने का फरमान सुनाया गया है. तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें स्कूलों और कार्यस्थलों में महिला तथा पुरुष के लिए अलग-अलग व्यवस्था करने के लिए समय चाहिए, जो इस्लाम की उनकी गंभीर व्याख्या के अनुरूप है.

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तालिबान के 1996 से 2001 के बीच पहले शासनकाल के दौरान, उसने लड़कियों तथा महिलाओं के स्कूल जाने, नौकरी करने, उनके मनोरंजन एवं खेल स्थलों आदि जाने पर रोक लगा और खेल के मैदानों में भीड़ के बीच मौत की सजा देकर दुनिया को चौंका दिया था.

मुत्तकी ने हालांकि कहा कि तालिबान अब बदल गया है. उन्होंने कहा, "देश के साथ और विश्व के साथ बातचीत कर हमने प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से प्रगति की है. हर गुजरते दिन के साथ हम और अनुभव हासिल करेंगे और अधिक प्रगति करेंगे."

मुत्तकी ने कहा कि नए तालिबान शासन के अधीन देश के 34 प्रांतों में से 10 में 12वीं कक्षा की छात्राएं स्कूल जा रही हैं, निजी स्कूल तथा विश्वविद्यालय बिना किसी बाधा के चल रहे हैं और पहले स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर चुकीं सभी महिलाएं काम पर लौट आई हैं. उन्होंने कहा, "यह महिलाओं की भागीदारी के सिद्धांत को लेकर हमारी प्रतिबद्धता दिखाता है."

तालिबान के विदेश मंत्री ने दावा किया कि तालिबान ने अपने विरोधियों को निशाना नहीं बनाया है, बल्कि एक आम माफी की घोषणा की और कुछ सुरक्षा भी प्रदान की. पूर्व सरकार के नेता बिना किसी डर के काबुल में रह रहे हैं, हालांकि उनमें से अधिकतर देश छोड़ चुके हैं. (इनपुट- भाषा)

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