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आखिर कहां गायब हो गए 2000 के नोट, मोदी सरकार ने दिया जवाब

2000 के नोट अचानक ही मार्केट से गायब हैं. मोदी सरकार का कहना है कि RBI ने नोट छापने का कोई परामर्श नहीं दिया है.

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आखिर कहां गायब हो गए 2000 के नोट, मोदी सरकार ने दिया जवाब
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डीएनए हिंदीः 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे का वक्त कौन भूल सकता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक 500 एवं 1000 के पुराने नोटों को अमान्य कर दिया था. इस दिन के साथ ही मार्केट में 1000 से भी बड़ा 2000 का नोट आया था. इस नोट के जारी होने को लेकर खूब सवाल खड़े हुए थे. वहीं अब सवाल ये है कि पांच वर्षों के बाद देश में 2000 हजार के नोटों की क्या स्थिति है. इसको लेकर मोदी सरकार ने संसद में विशेष जवाब देकर सभी को हैरान कर दिया है क्योंकि पिछले तीन वर्षों से RBI  ने  एक भी नया 2000 नोट नहीं छापा है और ये मार्केट से बिल्कुल गायब ही हो गया है. 

गायब हो रहे 2000 के नोट

2000 के नोटों का अचानक गायब होना आम जनता के लिए एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. ऐसे में इस सवाल को लेकर केन्द्रीय वित्तराज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा ने जवाब दिया है. इस जवाब में सामने आया है कि वर्ष 2018 में 2000 के नोटों तो कुल संख्या करीब  336.3 करोड़ थी. वहीं तीन सालों में बाजार के चलन से दूर होने के कारण वर्तमान में नोटों की ये संख्या 223.3 करोड़ नोटों तक आ गई है. ध्यान देने वाली बात ये है कि अब बाजार में कुल मुद्रा के मात्र 1.75 प्रतिशत नोट ही 2000 के रह गए हैं. 

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वित्त मंत्री का यही जवाब

राज्यसभा में पंकज चौधरी ने बताया, "31 मार्च, 2018 को 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के 336.3 करोड़ नोट (MPC) परिचालन में थे जो मात्रा और मूल्य के मामले में एनआईसी का क्रमशः 3.27 प्रतिशत और 37.26 प्रतिशत है. इसके मुकाबले 26 नवंबर, 2021 को 2,233 एमपीसी प्रचालन में थे, जो मात्रा और मूल्य के संदर्भ में एनआईसी का क्रमश: 1.75 प्रतिशत और 15.11 प्रतिशत है." जानकारी के मुताबिक 2000 के नोट कम होने की वजह ये भी है कि सरकार ने 500 के नोटों का चलन बढ़ाया है और उनकी मात्रा हम 2000 के नोटों की तुलना में पर्याप्त हो गई है. 

2000 नोट
 
RBI ने नहीं दिया कोई परामर्श

वहीं 2000 के नोटों को लेकर सरकार की तरफ से कहा गया है कि RBI ने 2000 रुपये के नोट छापने को लेकर कोई परामर्श नहीं दिया है. पंकज चौधरी ने कहा, " विशेष मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की छपाई का निर्णय सरकार लेती है और इसके लिए RBI के परामर्श होता है. RBI के परामर्श से जनता की लेनदेन संबंधी मांग को सुविधाजनक बनाने के लिए वांछित मूल्यवर्ग के नोटों की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए किया जाता है. जनता को किन नोटों की ज्यादा जरूरत है, उसे देखते हुए नोटों के प्रचलन का फैसला होता है.  2000 के नोटों को लेकर भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है. 

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500 और 200 की अधिकता

सरकार द्वारा कम धीरे-धीरे कम किए जा रहे 2000 के नोटों का चलन मार्केट पर भी दिख रहा है क्योंकि जो नोट बैंक में जमा किए जा रहे हैं, बैंक इन्हें वापस मार्केट में फ्लो के लिए नहीं भेज रहा है. इसके साथ ही एटीएम से भी  2000 के नोटों का न निकलना बहुत कम हो गया है. वहीं खास बात ये है कि 2000 नोटों की जगह लेने के लिए देश की मुद्रा में 500 के नोटों की अधिकता के साथ 200 के नोटों की भी संख्या में तेजी से विस्तार किया जा रहा है. 
 

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