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DNA एक्सप्लेनर: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर क्या कहता है देश का कानून?

IPC में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को अलग से लिस्ट किया गया है. जानें महिलाओं के खिलाफ अपराधों के प्रावधान क्या हैं.

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DNA एक्सप्लेनर: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर क्या कहता है देश का कानून?

Photo Credit: Zee News

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डीएनए हिंदी: कानून सबके लिए एक जैसा होता है. अपराध करने पर सजा सबको एक जैसी ही मिलती है. भारतीय कानून के हिसाब से महिलाएं भी किसी अपराध में दोषी ठहराई जा सकती हैं. जघन्यतम कृत्य (Rare of rarest) करने पर उन्हें मौत की सजा भी मिल सकती है. महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का भारतीय दंड संहिता (IPC) में अलग से जिक्र किया गया है. 

IPC में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़ी कई धाराएं हैं. ये अपराध सिर्फ महिला के खिलाफ अपराधों के विषय में हैं. इन्हें महिलाओं के खिलाफ अपराध (Of Offences against Women) माना जाता है. जानें कितने तरह के होते हैं महिलाओं के खिलाफ अपराध.

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महिलाओं के खिलाफ क्या हैं अपराध?

1. रेप
भारतीय दंड सहिंता की धारा 375 रेप को पारिभाषित करती है. धारा 376 के तहत रेप के अपराधियों को सजा दी जाती है. 376-ए से लेकर 376-ई तक रेप से जुड़े अलग-अलग अपराधों की सजा और परिभाषा तय करते हैं. इन्हीं के हिसाब से  दोषियों मिलती है. रेप के मामलों में 10 साल या आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है.  

2.  रेप की कोशिश
रेप की कोशिश करने वाले अपराधियों पर धारा 376 के साथ 511 भी लगाई जाती है.

3. महिला/बच्चियों का अपहरण
महिलाओं और बच्चियों की किडनैपिंग (Kidnapping and Abduction) और एबडक्शन से जुड़े अपराध करने पर आईपीसी की धारा 363,364,364-A और 366 लगती है. ऐसे अपराध करने वाले दोषियों को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

4. दहेज के कारण हुई मृत्यु

दहेज के कारण हुई मृत्यु (Dowry Death) की परिभाषा धारा 304-B में तय गई है. इसके अपराधियों को न्यूनतम 7 साल की सजा होती है जो आजीवन कारावास में भी तब्दील हो सकती है. 

5. महिला सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश
महिला के सम्मान ठेस (Outraging the modesty of a woman) पहुंचाने की कोशिश करना भी अपराध है. महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए किया गया आपराधिक हमला के बारे में भारतीय दंड सहिंता की धारा 354 बात करती है. इसके अपराधियों को 1 साल से लेकर 5 साल तक की जेल हो सकती है. 

6. सेक्सुअल हैरेसमेंट
लैंगिक उत्पीड़न (Sexual Harassment of women) की परिभाषा और सजा के बारे में धारा 354-A बात करती है. इसके तहत अपराधियों को एक साल की सजा और जुर्माना दोनों से दंडित किया जा सकता है.

7. महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश
महिला को निर्वस्त्र करने के मकसद से होने वाले अपराधियों के खिलाफ 354-B के तहत केस चलाया जाता है. इसके लिए अपराधी को 3 से 7 साल की सजा हो सकती है. अपराधी के खिलाफ जुर्माना भी लग सकता है. 

8. दृश्य रतिकता या रति दर्शन
दृश्य रतिकता (Voyeurism) भी दंडनीय अपराध है. किसी महिला को अंतरग स्थिति में बिना उसकी इच्छा के देखना, तस्वीरें कैद करना और उन्हें प्रसारित करना अपराध है. भारतीय दंड सहिंता की धारा 354-C ऐसे अपराधों पर नजर रखती है. पहली बार अपराध करने में 3 साल की सजा और दूसरी बार यही अपराध करने पर अपाराधी को 7 साल तक सजा हो सकती है.

9. पीछा करना (Stalking)
किसी स्त्री (Stalking) का पीछा करना अपराध की श्रेणी में आता है. इंटरनेट पर भी पीछा करना अपराध है. पहली बार 3 साल और दूसरी बार यही अपराध करने पर 5 साल तक की सजा हो सकती है. अपराधियों पर धारा 354-D के तहत केस चलता है.

10. अश्लील इशारे

अगर कोई भी शख्स किसी महिला की ओर अश्लील इशारे करता है. हाथ या शरीर के किसी हिस्से से इशारे करता है जो आपत्तिजनक है, जिससे महिला की के सम्मान को ठेस पहुंचे तो ऐसे अपराधियों के खिलाफ धारा 509 में प्रावधान तय किए गए हैं. अपराधी को 3 साल तक की जेल हो सकती है.

11. घरेलू हिंसा (ससुराल पक्ष की ओर से)
अगर किसी विवाहित स्त्री को उसके ससुराल के लोग प्रताड़ना दें तो उनके खिलाफ धारा 498 के तहत केस हो सकता है. जुर्म साबित होने पर अपराधी को 3 साल तक की कैद हो सकती है.

12. जबरन शादी के लिए मजबूर करना
IPC की धारा 366 किसी महिला को जबरदस्ती शादी के लिए बाध्य करने और अपहरण करने पर लगाई जाती है. इसके दोषी को 10 साल की कैद हो सकती है. विदेश से लड़की के आयात करने पर 366B के तहत एक्शन होता है. इसकी सजा 7 10 साल तक हो सकती है. 

13. खुदकुशी के लिए उकसाना
महिला को खुदकुशी के लिए उकसाना भी अपराध है. इसके अपराधियों को धारा 306 के तहत सजा मिलती है. ऐसे अपराधियों को 10 साल की सजा हो सकती है.

IPC से इतर महिलाओं के लिए कितने हैं कानून?

महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई स्तर पर कानून बनाए गए हैं. राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग इस विषय पर कानून बना सकती हैं. दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961, स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध अधिनियम), 1986, सती (निवारण) अधनियम, 1987, पॉक्सो एक्ट, घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनयम, 2005 और महिला ट्रैफिकिंग से जुड़े कई अन्य एक्ट हैं जिनके जरिए महिला अपराधों से जुड़े मामलों को डील किया जाता है. भारतीय दंड संहिता में भी इसके अलावा कई अन्य प्रावधान हैं जिनका इस्तेमाल महिलाएं कर सकती हैं.

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