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RLD ने बदली रणनीति! मुस्लिमों के बाद अब इस समुदाय में पैठ बनाने की कोशिश, जानिए क्या है वजह

Mayawati के उत्तर प्रदेश में कमजोर होने का फायदा सभी सियासी दल उठाना चाहते हैं. RLD प्रमुख जयंत चौधरी ने भी दलितों में पैठ बनाने को लेकर खास रणनीति तैयार की है. उन्होंने दलित समुदाय में पैठ बनाने के लए अपने विधायकों को खास निर्देश दिए हैं.

RLD ने बदली रणनीति! मुस्लिमों के बाद अब इस �समुदाय में पैठ बनाने की कोशिश, जानिए क्या है वजह

जयंत चौधरी

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने 8 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. ये सभी सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है. पश्चिमी यूपी की जाट बेल्ट में RLD का हमेशा से प्रभाव रहा है. हालांकि मोदी युग की शुरुआत के बाद RLD के ही अस्तित्व पर सवाल उठाए जाने लगे. चुनावों में लगातार खराब होते प्रदर्शन के बीच दिल्ली की सीमाओं पर हुआ किसान आंदोलन RLD के लिए संजीवनी साबित. जाट युवाओं में खास तौर पर RLD के लिए क्रेज दिखाई दिया, जिसका परिणाम चुनावों में भी नजर आया और 2017 में महज 1 सीट जीतने वाली पार्टी 8 सीटों पर पहुंच गई.

RLD के मुखिया जयंत चौधरी अब आगे की तैयारियों में जुट गए हैं. कभी सिर्फ जाटों की पार्टी माने जाने वाली राष्ट्रीय लोकदल अब दूसरी बिरादरियों को भी अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रही है. मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट और मुस्लिमों के बीच पैदा हुई खाई को वो पिछले चुनाव में पाटने की कोशिश करते नजर आए. अब उन्होंने अपनी पार्टी को खोया हुआ सम्मान वापस दिलाने के लिए दलितों में भी अपनी पार्टी की पकड़ को मजबूत करने के लिए काम शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में लगातार कमजोर होती बहुजन समाज पार्टी और भीम आर्मी के चंद्र शेखर के साथ जयंत का कई बार दिखाई देना इस बात की तस्दीक करता है.

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इस बीच अब जयंत ने अपने विधायकों को बड़ा निर्देश दिया है. जयंत का यह निर्देश साफ तौर पर दलितों को लेकर RLD की रणनीति में बदलाव की पुष्टि करता है. RLD प्रमुख ने अपने आठों विधायकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि वे अपनी विधायक निधि में से 35 फीसदी से ज्यादा धनराशि अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए खर्च करें. RLD के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने बताया कि पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी ने अपने विधायकों और विधायक दल के नेता राजपाल बालियान को पत्र लिखकर अपनी 'विधायक निधि' का 35 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति के कल्याण से जुड़े कार्यो पर खर्च करने की जरूरत पर बल दिया था.

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दरअसल जयंत ने दलितों के बीच पैठ बनाने की रणनीति पर यूं ही काम करना शुरू नहीं किया है. उत्तर प्रदेश में बसपा लगातार कमजोर होती दिखाई दे रही है. भाजपा सहित सभी सियासी दल बसपा से बिखर रहे वोट को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. जयंत के साथी अखिलेश भी इस रणनीति पर काम कर रहे हैं. पश्चिमी यूपी में RLD के पास जाटों की पावर तो पहले से है लेकिन उनका साथ देने के लिए अन्य कोई बिरादरी खुलकर नहीं दिखाई देती. यूपी में दलित वोटरों की तादाद करीब 22 फीसदी है. पश्चिमी यूपी के हर जिले में दलितों की संख्या 10 फीसदी से ज्यादा है. ऐसे में अगर जाट बाहुल्य क्षेत्रों में RLD के कोर वोटर के साथ दलित जुड़ेंगे तो निश्चित ही पार्टी को इसका फायदा होगा.

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