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Narayana Murthy: मनमोहन के दौर में ठहर गया था भारत, अब दौड़ रहा, इंफोसिस को-फाउंडर के मन की बात

Narayana Murthy ने कहा- मैं HSBC बोर्ड में था, तो वहां चीन का नाम 30 बार और भारत का नाम 2-3 बार ही आता था. आज भारत का सम्मान है.

Narayana Murthy: मनमोहन के दौर में ठहर गया था भारत, अब दौड़ रहा, इंफोसिस को-फाउंडर के मन की बात
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डीएनए हिंदी: कांग्रेस नेतृत्व वाले UPA के शासनकाल में एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) ने देश को आधार कार्ड जैसी व्यवस्था देने में अहम भूमिका निभाई. इसके बावजूद वे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के दौर वाले भारत को बहुत अच्छा नहीं मानते. IT कंपनी इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर मूर्ति शुक्रवार को IIM अहमदाबाद (IIM-A) के छात्रों से बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार के वक्त, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, भारत में आर्थिक गतिविधियां 'ठहर' गईं थीं. उस दौरान देश में निर्णय नहीं लिए जा रहे थे. दुनिया में भारत की कोई खास पूछ नहीं थी. इसके उलट आज दुनिया में भारत का बेहद सम्मान है, जो दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. 

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मूर्ति ने युवा उद्यमियों और छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कई बार चीन और उसकी सफलताओं की बात की. साथ ही उम्मीद जताई कि भारतीय युवा देश को चीन का एक योग्य प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं. ये आपकी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि लोग जब भी किसी दूसरे देश, खासकर चीन, का नाम लें तो साथ में भारत का नाम अवश्य लें. मुझे लगता है कि आप लोग ऐसा कर सकते हैं. 

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HSBC बोर्ड बैठक में भारत-चीन की स्थिति की तुलना की

मूर्ति ने एक सवाल के जवाब में HSBC बोर्ड में रहने और उसकी बैठकों में UPA के दौर के भारत और चीन की स्थिति की तुलना का अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा, मैं लंदन में साल 2008 से 2012 के बीच एचएसबीसी के बोर्ड में था. पहले कुछ सालों के दौरान बोर्डरूम बैठकों के दौरान चीन का दो से तीन बार जिक्र होता था तो भारत का नाम एक बार आता था. 

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उन्होंने कहा, लेकिन इसके बाद पता नहीं भारत के साथ क्या हुआ.  पूर्व पीएम मनमोहन सिंह एक असाधारण व्यक्ति थे और मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है, लेकिन UPA के दौर में भारत (तरक्की की राह पर) ठहर गया था. दुर्भाग्य से उस दौर में निर्णय नहीं लिए जा रहे थे. सबकुछ आगे के लिए टाला जा रहा था. मूर्ति ने आगे कहा, जब मैंने साल 2012 में एचएसबीसी का साथ छोड़ा, तो बैठकों के दौरान भारत का नाम शायद ही कभी आता था, जबकि चीन का नाम तब करीब 30 बार आने लगा. 

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एकसमय पश्चिम हमें नीचा मानता था, आज इज्जत देता है

इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन ने कहा, एक समय था, जब अधिकतर पश्चिमी लोग भारत को नीचा मानते थे, लेकिन आज कई स्तर पर देश की बहुत इज्जत है. देश आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

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मनमोहन के आर्थिक सुधार और मोदी के मेक इन इंडिया से मिला सम्मान

मूर्ति ने कहा, मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहने के दौरान साल 1991 में लागू किए गए आर्थिक सुधार (Manmohan Singh's Economic Reforms) और मौजूदा भाजपा नेतृत्व वाली NDA सरकार की मेक इन इंडिया (Make In India) व स्टार्टअप इंडिया (Startup India) जैसी योजनाओं से देश को (इंटरनेशनल लेवल पर) स्थान हासिल करने में मदद मिली है.

उन्होंने युवाओं से कहा, जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो बहुत ज्यादा जिम्मेदारी नहीं थी, क्योंकि ना मुझसे और ना भारत से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं. आज आपसे देश को आगे ले जाने की उम्मीदें हैं. मेरे हिसाब से आप लोग भारत को चीन का सही प्रतिद्वंद्वी बना सकते हैं. चीन ने भारत को 44 सालों में बहुत बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है. चीन की तरक्की अविश्वसनीय है.

चीनी अर्थव्यवस्था भारत से 6 गुना बड़ी है. 1978 से 2022 के बीच 44 सालों में चीन ने भारत को बहुत ज्यादा पछाड़ दिया है. 6 गुना ज्यादा बड़ा होना कोई चुटकुला नहीं है. यदि आप लोग मेहनत करते हैं तो भारत भी वैसा ही सम्मान पाएगा, जैसा आज चीन को मिलता है. 

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