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जब राकेश टिकैत के पिता को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने घेर लिया था पूरा गांव

महेंद्र सिंह टिकैत को गिरफ्तार करने के लिए साल 2008 में मायावती सरकार ने हजारों की संख्या में पुलिसकर्मियों को उनके गांव के बाहर तैनात किया था.

जब राकेश टिकैत के पिता को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने घेर लिया था पूरा गांव

राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत (Photo Credit- DNA)

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डीएनए हिंदी: संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा अपना आंदोलन (Kisan Andolan) स्थगित करने का फैसला किया है. भले ही इस आंदोलन की शुरुआत से लेकर अंत तक पूरी रूपरेखा सिंघु बॉर्डर से तय हुई हो, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर कब्जा जमाए बैठे राकेश टिकैत आंदोलन में मौजूद सभी किसान नेताओं के मुकाबले सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे. वो इस आंदोलन से एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे. साल 2021 की शुरुआत में गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में मचे बवाल के बाद जब लगा कि आंदोलन खत्म हो जाएगा, तब राकेश टिकैत के आंसुओं ने प्रदर्शन में जान फूंक दी. रातों-रात गाजीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी यूपी से हजारों की संख्या में किसान पहुंच गए और प्रशासन की गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने की योजना धरी की धरी रह गई.

ऐसे ही नजारा एक बार साल 2008 में राकेश टिकैत के गांव सिसौली में भी देखने को मिला था. सिसौली मुजफ्फरनगर देहात का गांव है. उस समय यूपी सरकार ने बहुत बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत को गिरफ्तार करने के लिए भेजा था. इसकी वजह महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा यूपी की तब की मुख्यमंत्री मायावती को लेकर की गई जातिगत टिप्पणी थी. उस टिप्पणी से मायावती बहुत ज्यादा नाराज हुईं थीं. उन्होंने अधिकारियों को किसी भी हालत में महेंद्र सिंह टिकैत को गिरफ्तार करने का फरमान सुना दिया.

'किसानों के मसीहा' कहलाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत को लेकर मायावती के फरमान की खबर मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों में आग की तरफ फैल गई. जिसके बाद बहुत बड़ी संख्या में महेंद्र सिंह टिकैत के समर्थकों ने सिसौली को किले में तब्दील कर दिया और सिसौली जाने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक कर दिया. तब भी किसानों के आक्रामक रुख के सामने प्रशासन की एक न चली. अपनी सरकार के दौरान सख्त प्रशासन को लेकर पहचाने जाने वाली मायावती लाख चाहने के बावजूद भी महेंद्र सिंह टिकैत को गिरफ्तार न करवा सकीं. 

इस मामले में मायावती सरकार की किरकिरी होते देख अधिकारियों ने बातचीत के जरिए बीच का रास्ता निकाला. समझाने-बुझाने के बाद महेंद्र सिंह टिकैत अदालत में सरेंडर के लिए राजी हुए थे. महेंद्र सिंह टिकैत ने बाद में आपत्तिजनक शब्दों के लिए माफी मांगी और मायावती को अपनी बेटी बताया था. इस घटना के काफी दिनों बाद राकेश टिकैत ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता ने साफ शब्दों में अपने समर्थकों से कह दिया था कि अगर गिरफ्तारी जैसी संभावनाएं बनें तो उन्हें गोली मार दी जाए, क्योंकि दुर्व्यवहार से बेहतर मौत है. 

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