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Maa Katyayani: शाम को मां कात्यायनी की करें आरती, पढ़ें स्तोत्र, दूर होंगे विवाह से जुड़े संकट

Maa Katyayani की शाम की आरती, मंत्र, ध्यान करने से मां परिवार की समस्याएं कम करती हैं, विवाह के संकट भी दूर हो जाते हैं

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Maa Katyayani: शाम को मां कात्यायनी की करें आरती, पढ़ें स्तोत्र, दूर होंगे विवाह से जुड़े संकट

शाम को मां कात्यायनी की करें आरती

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डीएनए हिंदी: Maa Katyayani Sandhya Aarti, Stuti- नवरात्रि के छठे दिन (Navratri Sixth Day) मां कात्यायनी की पूजा होती है, मां के इस स्वरूप ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, इसलिए मां को महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं. मां की पूजा अर्चना करने से परिवार के कलह दूर होते हैं, मां संसार की रक्षा करती हैं. जैसे सुबह सुबह उठकर स्नान करके मां की पूजा अर्चना की जाती है, मंत्र पाठ होते हैं, ठीक वैसे ही शाम को भी मां को भोग लगाकर स्तुति करके उनकी आरती की जाती है. इससे मन इच्छा फल मिलता है. 

कहते हैं आज्ञा चक्र शरीर में शक्ति केंद्र का छठवां मूल चक्र होता है, नवग्रहों में माता कात्यायनी शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं, जिससे वह विवाह संबंधित सभी समस्याओं और अड़चनों को दूर करती हैं. 

यह भी पढ़ें- देवी कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में पढ़ें 

!! ध्यान !!
 
वन्दे वांछित मनोरथार्थचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
 
सिंहारूढचतुर्भुजाकात्यायनी यशस्वनीम्॥
 
 
स्वर्णवर्णाआज्ञाचक्रस्थितांषष्ठम्दुर्गा त्रिनेत्राम।
 
वराभीतंकरांषगपदधरांकात्यायनसुतांभजामि॥
 
 
पटाम्बरपरिधानांस्मेरमुखींनानालंकारभूषिताम्।
 
मंजीर हार केयुरकिंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्।।
 
 
प्रसन्नवंदनापज्जवाधरांकातंकपोलातुगकुचाम्।
 
कमनीयांलावण्यांत्रिवलीविभूषितनिम्न नाभिम्॥
 
!! स्तोत्र !!

 
कंचनाभां कराभयंपदमधरामुकुटोज्वलां।
 
स्मेरमुखीशिवपत्नीकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
 
 
पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां।
 
सिंहास्थितांपदमहस्तांकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
 
 
परमदंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा।
 
परमशक्ति,परमभक्ति्कात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
 
 
विश्वकर्ती,विश्वभर्ती,विश्वहर्ती,विश्वप्रीता।
 
विश्वाचितां,विश्वातीताकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
 
 
कां बीजा, कां जपानंदकां बीज जप तोषिते।
 
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
 
 
कांकारहíषणीकां धनदाधनमासना।
 
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
 
 
कां कारिणी कां मूत्रपूजिताकां बीज धारिणी।
 
कां कीं कूंकै क:ठ:छ:स्वाहारूपणी॥ 

यह भी पढे़ं- मां हमें अंदरुनी शक्तियों को भरना सिखाती हैं- ब्रह्माकुमारीज 

मां कात्यायनी की आरती (Maa Kayayani Aarti)

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को 'चमन' पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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