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Shivanand Swami: मां अम्बे गौरी की आरती में 'कहत शिवानन्द स्वामी सुख संपति पावे' में किन 'शिवानन्द स्वामी' का है जिक्र

Jai Ambe Gauri Aarti: जय अम्बे गौरी जी की आरती के समाप्त होने पर शिवानंद स्वामी का नाम लिया जाता है. चलिए जानते हैं कि शिवानंद स्वामी कौन हैं.

Shivanand Swami: मां अम्बे गौरी की आरती में 'कहत शिवानन्द स्वामी सुख संपति पावे' में किन 'शिवानन्द स्वामी' का है जिक्र

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में भजन - कीर्तन (Bhajan - Kirtan) का बहुत ही अधिक महत्व होता है. धार्मिक कार्यक्रमों में भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई भजन व कीर्तन (Bhajan - Kirtan) गाए जाते हैं. हालांकि इन सभी में से आरती का विशेष महत्व होता है. भगवान की पूजा के बाद आरती (God Aarti) के बिना पूजा सम्पन्न नहीं होती है. घरों व मंदिरों में सभी जगह पूजा के बाद आरती (God Aarti) करना अनिवार्य होता है. आपने पूजा में घर या मंदिर में मां गौरी की आरती "जय अम्बे गौरी" (Jai Ambe Gauri) जरूर सुनी होगी. "जय अम्बे गौरी" (Jai Ambe Gauri) आरती की समाप्ति में "कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे" शिवानंद स्वामी (Shivanand Swami) का नाम लिया जाता है. हालांकि कोई भी शिवानंद स्वामी (Shivanand Swami) को नहीं जानता है और न ही किसी को पता है कि आरती में इनका नाम क्यों लिया जाता है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि यह कौन हैं और इनका नाम आरती में क्यों लिया जाता है. 

शिवानंद स्वामी वामदेव पांड्या (Shivanand Vamdev Pandya)
शिवानंद स्वामी का पूरा नाम "शिवानंद स्वामी वामदेव पांड्या" (Shivanand Vamdev Pandya) है. इनका जन्म 16वीं शताब्दी में गुजरात में हुआ था. शिवानंद स्वामी में गुजराती भाषा में कई सारी रचनाएं लिखी हैं. "जय अम्बे गौरी" (Jai Ambe Gauri) उनकी ही रचनाओं में से एक है. इस आरती की समाप्ति में आरती के रचियता शिवानंद स्वामी (Shivanand Swami) का ही नाम लिया जाता है. 

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कौन हैं शिवानंद स्वामी (Shivanand Swami)
शिवानंद स्वामी "जय अम्बे गौरी" (Jai Ambe Gauri) की आरती के रचयिता है. उनका जन्म साल 1541 में हुआ था. इनका वास्तविक नाम "शिवानंद स्वामी वामदेव पांड्या" था जो बाद में शिवानंद स्वामी पड़ा था. शिवानंद स्वामी के पूर्वज अंकलेश्वर के पास बडनगर होते हुए सूरत में आकर बस गए थे. 

शिवानंद वामदेव पांड्या शुरुआत से ही बहुत ही धार्मिक रहे हैं. शिवानंद स्वामी जी की शुरू से ही काव्य और साहित्य में भी रूची रही है. वह नर्मदा तट पर ही रहते थे और वहीं पर अपने भजनों की रचना करते थे. इन्हीं रचनाओं में उनकी "जय अम्बे गौरी" की आरती भी शामिल है. नर्मदा परियोजना के चीफ इंजीनियर रहे जीटी पंचीगर को ही तट पर शिवानंद स्वामी जी की रचनाएं मिली थी. जिन्हें उन्होंने “स्वामी शिवानंद रचित आरती” की पुस्तक के रूप में पब्लिश करवाया था. स्वामी शिवानंद के भजन और आरती बहुत ही लोकप्रिय है वह पूजा अर्चना के समय मंदिरों और घरों में गाए जाते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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