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अगले पांच साल में EV Sector में हो सकता है 94 हजार करोड़ का निवेश, ये राज्य आगे

वर्तमान में 15 राज्यों ने या तो ईवी नीतियों को मंजूरी दे दी है या अधिसूचित कर दिया है.

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अगले पांच साल में EV Sector में हो सकता है 94 हजार करोड़ का निवेश, ये राज्य आगे

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डीएनए हिंदी: देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड दिनोंदिन बढ़ रही है. कई कंपनियां मार्केट में नए इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉन्च कर रही हैं. इसे देखते हुए देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सेग्मेंट में अगले पांच वर्षों में करीब 94 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है.

कोलियर्स और इंडोस्पेस की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु इस निवेश में सबसे आगे है. ईवी के लिए कुल नियोजित निवेश में इसकी लगभग 34% हिस्सेदारी है. इसके बाद आंध्र प्रदेश और हरियाणा का नंबर है, जहां क्रमशः 12% और 9% की हिस्सेदारी है.

जानकारी के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक और एथर एनर्जी पहले से ही तमिलनाडु में प्लांट लगा चुकी हैं. टीवीएस मोटर कंपनी, ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स ऑफ इंडिया, सिंपल एनर्जी, बूमा इनोवेटिव ट्रांसपोर्ट सॉल्यूशन, मैजेंटा ईवी सॉल्यूशंस, ज़ायन इंटरनेशनल और प्रोपेल इंडस्ट्रीज भी इस निवेश में शामिल हैं. इन कंपनियों ने हाल ही में EV या EV कंपोनेंट के लिए राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

वर्तमान में 15 राज्यों ने या तो ईवी नीतियों को मंजूरी दे दी है या अधिसूचित कर दिया है. दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और मेघालय जैसे राज्य मांग प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि दक्षिणी राज्य और उत्तर प्रदेश मेन्यूफेक्चरर बेस्ड इंसेंटिव्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

भारत में परिवहन क्षेत्र वर्तमान में CO2 का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है. कंपनी का अनुमान है कि ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. इसका एक फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को भी हो सकता है. कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण, वेयरहाउसिंग, चार्जिंग स्टेशन और डीलरशिप के अवसरों का लाभ उठा सकती हैं. सरकार के पास 2030 तक 110 GWh ईवी बैटरी के निर्माण का लक्ष्य है. इससे पूरे भारत में लगभग 1,300 एकड़ भूमि की आवश्यकता हो सकती है.

कोलियर्स का अनुमान है कि भारत को 2025 तक लगभग 26,800 सार्वजनिक चार्जिंग स्पॉट की आवश्यकता होगी, जिसके लिए लगभग 13.5 मिलियन वर्ग फुट की जगह की जरूरत होगी. रियल एस्टेट सेक्टर चार्जिंग स्टेशनों को आउटसोर्स कर सकते हैं. वे चार्जिंग सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ रेवेन्यू शेयर मॉडल में भी प्रवेश कर सकते हैं.

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