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Myanmar में सेना का खूनी खेल, समारोह पर हवाई हमला, 80 की मौत, सैन्य अधिकारी बोले- जरूरी कार्रवाई

म्यांमार में सैन्य तानाशाही का खूनी नरसंहारों का लंबा इतिहास रहा है. ताजा नरसंहार पिछले साल फरवरी में तख्तापलट के बाद सबसे नृशंस है.

Myanmar में सेना का खूनी खेल, समारोह पर हवाई हमला, 80 की मौत, सैन्य अधिकारी बोले- जरूरी कार्रवाई
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डीएनए हिंदी. म्यांमार (Myanmar) में सैन्य तानाशाही के लड़ाकू विमानों ने उत्तरी राज्य काचीन (Kachin) में एक समारोह पर बम बरसा दिए. रविवार रात को हुए इस हमले में 80 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से ज्यादा लोग अब भी घायल हैं. AlJazeera की रिपोर्ट के मुताबिक, यह समारोह काचीन इंडिपेन्डेंस ऑर्गनाइजेशन (Kachin Independence Organisation) के स्थापना दिवस पर यांगून (Yangon) शहर से करीब 950 किलोमीटर उत्तर में मौजूद दुर्गम पहाड़ी एरिया के हेपकान्ट (Hepkant) कस्बे में  आयोजित किया जा रहा था. यह कस्बा ऑन्ग बार ले गांव (Aung Bar Lay village) से सटा हुआ है, जो काचीन इंडिपेन्डेंस आर्मी का ट्रेनिंग ग्राउंड है.

रिपोर्ट के मुताबिक, समारोह के लिए करीब 500 लोग जमा हुए थे. इसी दौरान सैन्य विमानों ने वहां कम से कम 4 बड़े बम ड्रॉप किए, जिसकी चपेट में आकर 60 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. इसके अलावा 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. बाद में अस्पताल में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई. हालांकि म्यांमार की सेना ने अपने बयान में इसे विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई बताया है और आम नागरिकों के मरने के दावों का खंडन किया है.

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फरवरी, 2021 में तख्तापलट के बाद सबसे घातक हमला

म्यांमार में सैन्य तानाशाहों ने कई साल तक लोकतांत्रिक शासन के बाद फरवरी, 2021 में दोबारा तख्तापलट करते हुए सत्ता कब्जा ली थी. इसके बाद पूरे देश में कई महीने तक जनता और सेना के बीच हिंसक संघर्ष का दौर चला था. इसके बावजूद काचीन में हुए हमले को सेना के सत्ता कब्जाने के बाद सबसे जघन्य हवाई हमला माना जा रहा है. 

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मृतकों में संगीतकार से लेकर काचीन सेना के अधिकारी भी

मरने वालों में कई मशहूर संगीताकर और गायक भी शामिल हैं, जो वहां परफॉर्म करने के लिए आए थे. इसके अलावा काचीन मिलिट्री ऑफिसर्स, सैनिक, जेड माइनिंग बिजनेस के मालिक, आम नागरिक और बैकस्टेज में काम कर रहे कुक भी मारे गए हैं. हालांकि AlJazeera ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस हमले की स्वतंत्र पुष्टि करना संभव नहीं है, लेकिन काचीन समर्थकों की तरफ से इस हमले के बाद के वीडियो व फोटो बड़ी संख्या में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं. इन वीडियो-फोटो में चारों तरफ बमबारी के बाद बिखरे स्पिलंटर्स और धमाके से ध्वस्त हुए लकड़ी के ढांचे दिखाई दे रहे हैं.

हमले के बाद घायलों का इलाज भी नहीं होने दिया

काचीन न्यूज ग्रुप ने भी रिपोर्ट पेश की है कि सरकारी सुरक्षा बलों ने हवाई हमले के बाद समारोह स्थल के आसपास के इलाकों में अस्पतालों को घेर लिया. आरोप है कि इन अस्पतालों में पहुंचे हमले में घायल होने वाले लोगों का सुरक्षा बलों ने इलाज नहीं होने दिया. इसके चलते भी मरने वालों की संख्या बढ़ गई. 

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सैन्य सरकार ने बताया 'जरूरी ऑपरेशन'

म्यांमार की सैन्य सरकार ने सोमवार शाम को हमले की पुष्टि की है. साथ ही इस हमले को 'जरूरी ऑपरेशन' करार दिया है. सेना के इंफॉरमेशन ऑफिस की तरफ से जारी बयान में काचीन इंडिपेन्डेंस आर्मी की 9वीं ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर हमले की बात कही गई है. सेना ने इसे काचीन ग्रुप की तरफ से की जा रही 'आतंकी' हरकतों के जवाब में 'जरूरी ऑपरेशन' बताया है. 

सेना ने हमले में बहुत ज्यादा लोगों की मौत के दावे वाली रिपोर्ट्स को भी गलत बताया है. साथ ही इस बात से भी इनकार किया है कि यह हवाई हमला एक म्यूजिक कंसर्ट पर किया गया, जिसमें गायक और दर्शक के तौर पर मौजूद आम लोगों की मौत हुई है.

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कौन है काचीन इंडिपेन्डेंस आर्मी, जिस पर हमले का है दावा

काचीन इंडिपेन्डेंस आर्मी (Kachin Independence Army) म्यांमार के सबसे मजबूत पारंपरिक विद्रोही गुटों में से एक है. यह गुट इतना मजबूत है कि इसकी अपनी सेना है और बहुत सारे हथियारों की निर्माण इकाइयां भी हैं. यह ग्रुप म्यांमार के काचीन स्टेट में कई इलाकों पर अपना शासन चलाता है. इसे काचीन इंडिपेन्डेंस ऑर्गनाइजेशन का सशस्त्र समूह माना जाता है. रविवार शाम का समारोह KIO की स्थापना की 62वीं सालगिरह के मौके पर ही आयोजित किया गया  था. 

मानवाधिकार संगठन भड़के, कहा- हथियार की बिक्री रोकी जाए

इस हमले के बाद मानवाधिकार संगठन भड़क गए हैं. उन्होंने सत्ताधारी सैन्य जनरलों पर लड़ाई के नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया है. साथ ही इंटरनेशनल कम्युनिटी से म्यांमार को हथियारों की बिक्री और हवाई ईंधन की सप्लाई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सैन्य तानाशाही से प्रभावित इलाके में डॉक्टरों और मानवाधिकार संगठनों को जाने की इजाजत देने की मांग की है.

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