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Election Result 2022: फिर छिड़ा EVM पर विवाद, जानें कैसे और कब हुई थी चुनावों में इसकी शुरुआत

कल यानी 10 मार्च को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने हैं, इससे पहले ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ईवीएम चोरी का आरोप लगाया है.

Election Result 2022: फिर छिड़ा EVM पर विवाद, जानें कैसे और कब हुई थी चुनावों में इसकी शुरुआत

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डीएनए हिंदी. 10 मार्च को देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं. मगर इससे पहले ही ईवीएम पर एक बार फिर बवाल मच गया है. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, तो अन्य पार्टियां भी इस पर अपनी-अपनी तरफ से बयान दे रही हैं. ऐसे में ईवीएम का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है. जानते हैं कैसे हुई वोटिंग में ईवीएम की शुरुआत-

पहली बार 1982 में
बैलेट पेपर के बाद वोटिंग का नया तरीका ईवीएम के जरिए सामने आया. ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन. मई 1982 में केरल में आम चुनाव के दौरान पहली बार EVM का इस्तेमाल किया गया. तब तक EVM से चुनाव कराने का कोई कानून नहीं था. 

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1989 में बना कानून
सन् 1989 में संसद में चुनावों में EVM का उपयोग करने के लिए कानून बनाया गया. रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट 1951 में संशोधन किया गया. इसके जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया. चुनाव आयोग ने सन् 1989 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की साझेदारी में ईवीएम के मॉडल तैयार करने का ऑर्डर दिया. इन मशीनों के इंडस्ट्रियल डिजाइनर आईआईटी मुंबई के इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर  के फैकल्टी मेंबर थे.  

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ऐसे शुरू हुआ इस्तेमाल

  • 1998 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली को मिलाकर कुल 25 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. 
  • 1999 में 45 लोकसभा सीटों पर और फिर फरवरी 2000 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में 45 विधानसभा सीटों पर EVM से चुनाव हुए.
  •  इसके बाद 2001 में पहली बार तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में सभी विधानसभा सीटों पर EVM से चुनाव कराए गए.
  • पहली बार पूरी तरह ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल सन् 2004 के आम चुनावों में हुआ था. देश की सभी 543 सीटों पर वोटिंग के लिए 10 लाख से अधिक ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था.

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