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Carbon Border Tax: कार्बन बॉर्डर टैक्स क्या है? भारत समेत कई देश क्यों कर रहे इसका विरोध

Carbon Border Tax: जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन कॉप-27 में भारत और चीन समेत बेसिक देशों ने कार्बन बॉर्डर टैक्स को लेकर आपत्ति जताई है. 

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Carbon Border Tax: कार्बन बॉर्डर टैक्स क्या है? भारत समेत कई देश क्यों कर रहे इसका विरोध

कार्बन बॉर्डर टैक्स को लेकर दुनिया के कई देशों ने इसका विरोध किया है. 

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    डीएनए हिंदीः कार्बन बॉर्डर टैक्स (Carbon Border Tax) को लेकर दुनियाभर में एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. हाल ही में इजिप्ट में जलवायु परिवर्तन को लेकर शिखर सम्मेलन कॉप-27 आयोजित किया गया था. इसमें जलवायु परिवर्तन को लेकर विस्तृत चर्चा की गई. इसी सम्मेलन में भारत और चीन के साथ ही बेसिक देशों ने कार्बन बॉर्डर टैक्स को लेकर आपत्ति जताई है. इस ग्रुप के सभी देशों ने बयान जारी कर कहा है कि इस टैक्स से उनके अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर असर पड़ेगा. 

    बेसिक देशों में कौन-कौन शामिल 
    इस ग्रुप के बेसिक (BASIC) देशों में ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन शामिल हैं. इन देशों ने एक संयुक्त बयान में यूरोपीय संघ के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह ‘भेदभावपूर्ण’ एवं समानता तथा 'समान परंतु विभेदित उत्तरदायित्वों और संबंधित क्षमताओं' (CBDR-RC) के सिद्धांत के विरुद्ध है. बता दें कि बेसिक चार देशों का वो ग्रुप है जो इंडस्ट्रियल देश के तौर पर विकसित हुए हैं. नवंबर 2009 में इस समूह का गठन हुआ था. 

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    कार्बन बॉर्डर टैक्स क्या है?
    कार्बन टैक्स एक ऐसा शुल्क है जिसे सरकार देश के भीतर किसी भी उस कंपनी पर लगाती है जो जीवाश्म ईंधन का उपयोग करती है. कार्बन उत्सर्जन को लेकर कई देशों ने इस पर चिंता जाहिर की है. ऐसे देश जो जलवायु परिवर्तन के नियमों लागू करने के लिए सख्त नहीं हैं, उन देशों में बने उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने की बात कही जा रही है. इस टैक्स को कार्बन बॉर्डर टैक्स कहा गया है. अगर किसी देश पर यह टैक्स लगाया जाता है तो इससे आयात शुल्क में इजाफा होगा और मुनाफे में कमी आएगी. ऐसे में इस टैक्स का उनकी अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा. यूरोपियन यूनियन ने इस टैक्स को लागू करने की योजना बनाई है. इस टैक्स के दायरे में स्टील, सीमेंट, फर्टिलाइजर, एल्युमिनियम और बिजली उत्पादन से जुड़े उत्पाद आएंगे.  

    भारत पर क्या होगा असर
    इस फैसले का भारत की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा. बता दें कि यूरोपियन यूनियन दुनिया का तीसरा बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. इसके कार्बन बॉर्डर टैक्स के फैसले का असर भारतीय उत्पादों पर पड़ेगा. इस फैसले से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे जिसका असर उसकी मांग पर पड़ेगा. इसी कारण भारत इस व्यवस्था का विरोध कर रहा है. भारत की ओर से जलवायु परिवर्तन के शिखर सम्मेलन COP27 में भारत में कहा है कि सिर्फ कोयला ही नहीं, दूसरे जीवाश्म ईधन के इस्तेमाल को धीरे-धीरे घटाने की जरूरत है.

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