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Remembering Neil Nongkynrih : शिलांग के संगीत को दुनिया में फ़ैलाने वाला पियानिस्ट

पद्मश्री नील नोंगकिरिन्ह ने भारत की पहचान को संगीत की दुनिया में अलग उंचाई दी थी. बुधवार को उनका निधन अल्सर से जुड़ी समस्याओं की वजह से हो गया.

Remembering Neil Nongkynrih : शिलांग के संगीत को दुनिया में फ़ैलाने वाला पियानिस्ट
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डीएनए हिन्दी : 2010 में भारत के रॉक कैपिटल शिलांग में एक म्यूजिकल ग्रुप तैयार हो रहा था जो आने वाले दिनों में दुनिया भर में मशहूर हो जाने वाला था.  इंडियाज़ गॉट टैलेंट में उस साल शिलांग का यही म्यूजिकल ग्रुप जीता था. उसके बाद यह ग्रुप दुनिया भर में अपने संगीत का जादू बिखेरता रहा था. शिलांग चैम्बर क्वायर (Shillong Chamber Choir) नाम के इस ग्रुप के फाउंडर, मेंटर थे नील नोंगकिरिन्ह (Neil Nongkynrih). 2015 में पद्मश्री पाने वाले नील बुधवार शाम विदा हो गये, इस दुनिया के संगीत से पारलौकिक दुनिया की गीत यात्रा पर.

अचानक एक अलसर रप्चर हुआ, इमरजेंसी में मुंबई के रिलायंस हॉस्पिटल में दाख़िल हुए और फिर वापस नहीं लौटे.  नोंगकिरिन्ह बैंड के लगभग सबकुछ थे. बैंड के लीड वोकलिस्ट विलियम की मानें तो बैंड इस हाल में है अभी कि उसे इल्म भी नहीं, क्या हादसा बीत गया है.

"अंकल नील" - ऐसे ही तो जानते थे लोग उन्हें. पूरा बैंड इन दिनों मुंबई में था जहाँ वे एक अध्यात्मिक अल्बम रिकॉर्ड करने वाले थे. मोज़ार्ट और बीथोवन के धुनों पर अपने साज को दुरुस्त करने का इल्म(knowledge) उन्हें बचपन में किसी घरवाले से मिला था और फिर आगे मौसिकी (music) को हुनर बनाने के लिए वे इंग्लैंड के ट्रिनिटी कॉलेज गये, फिर सालों विदेश में पियानिस्ट बने रहे.

2001 शिलांग लौटने का साल था. यही साल शिलांग चैम्बर क्वायर(Shillong Chamber Choir)  की स्थापना का भी था. 2010 में पहले India's Got Talent जीता और फिर उन्होंने दुनिया भर के म्यूजिक क्वायर से जीत हासिल की थी. जब बराक ओबामा भारत आये थे तब उनके सामने बैंड ने राष्ट्रपति भवन में परफॉर्म भी किया था.

पूर्वोत्तर भारत का खूबसूरत पहाड़ी शहर शिलांग (Shillong) अपने अंकल नील पर फ़ख्र करता था. भारत को गर्व अपने नील नोंगकिरिन्ह पर था, वह पियानिस्ट जिसने एक छोटे से राज्य के रॉक संगीत को दुनियावी पटल पर नामचीन बना दिया था.

2020 में नील ख़ास अल्बम लेकर आये थे. यह अल्बम उर्दू, फ़ारसी, अंग्रेज़ी और शिलांग की अपनी जनजातीय भाषा ख़ासी की स्तुतियों को समेटे हुआ था. नील को संगीत के ज़रिये जोड़ना आता था. भारतीय संगीत का वैश्विक फलक उनके जाने से थोड़ा और खाली हुआ.

 

(तस्वीर साभार Shillong Chamber Choir की वेबसाइट)

 

 

 

 

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