Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Wheat Price: दिल्ली की मंडियों में रिकॉर्ड तोड़ महंगा हुआ गेहूं, जानिए क्या है वजह

Wheat Prices in India: इस साल गेहूं के कम उत्पादन और निर्यात की वजह से देश में गेहूं की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. व्यापारियों का कहना है कि अभी यह मांग और बढ़ेगी तो मांग और बढ़ सकती है.

Wheat Price: दिल्ली की मंडियों में रिकॉर्ड तोड़ महंगा हुआ गेहूं, जानिए क्या है वजह
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: कम आपूर्ति और ज्यादा मांग की वजह से देश की राजधानी दिल्ली में गेहूं की कीमतों (Wheat Prices) में रिकॉर्ड 2,500 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली के व्यापारियों के अनुसार, गर्मी के कारण इस साल गेहूं का उत्पादन कम हुआ है, जिससे कृषि उपज की घरेलू आपूर्ति प्रभावित हुई है. व्यापारियों का कहना है कि दीवाली के त्योहारों के आसपास बढ़ी हुई ज़रूरतों को पूरा करने के लिए देश को गेहूं का आयात करना पड़ सकता है. 

दिल्ली लॉरेंस रोड मंडी के जय प्रकाश जिंदल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कीमतों में रोजाना इजाफा हो रहा है. उन्होंने कहा, 'आज भी भाव 30 रुपये बढ़ा और अब यहां भाव 2,550 रुपये प्रति क्विंटल है. हरियाणा में यह 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि राजस्थान में कीमत 2,370 रुपये प्रति क्विंटल है.' 14 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से मंडी की कीमतें 2,150 रुपये से 2,175 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास मंडरा रही थीं. जिंदल ने कहा कि इस साल प्रोडक्शन कम रहा है और सरकार ने सही समय पर निर्यात बंद नहीं किया.

यह भी पढ़ें- 'मुफ्त की रेवड़ी' के बहाने मोदी सरकार पर भड़के वरुण गांधी, कर्जमाफी पर कही ये बात

भारत ने जमकर किया गेहूं का निर्यात
उन्होंने आगे कहा, 'जब तक सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया, तब तक बहुत सारे गेहूं का निर्यात हो चुका था. यह पहले किया जाना चाहिए था.' उन्होंने कहा कि आगामी अक्टूबर और नवंबर के महीनों में त्योहारी मांगों को पूरा करने के लिए गेहूं के आयात की आवश्यकता होगी. सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि पिछले कुछ वर्षो में गेहूं का निर्यात बढ़ा है. साल 2021-22 में 212.15 करोड़ डॉलर मूल्य के गेहूं का निर्यात किया गया था. 2022-23 (अप्रैल-जुलाई) के पहले चार महीनों में 119 करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य के गेहूं का निर्यात किया गया था.

यह भी पढ़ें- RCP Singh ने जेडीयू से दिया इस्तीफा, संपत्तियों के बारे में पार्टी ने मांगा था हिसाब

वृद्धि के कारणों में अंतरराष्ट्रीय मांग-आपूर्ति की स्थिति, वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और यूक्रेन और रूस जैसे प्रमुख गेहूं निर्यातक देशों के बीच संघर्ष आदि जैसे विभिन्न कारक शामिल थे. इस बीच, सरकारी सूत्रों ने कहा कि केंद्र मांग को पूरा करने और गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कुछ पहल कर सकता है. यह गेहूं पर 40 फीसदी आयात शुल्क को खत्म कर सकता है. इसके अलावा, यह गेहूं पर स्टॉक रखने की सीमा और स्टॉकिस्टों और व्यापारियों द्वारा रखे गए गेहूं के स्टॉक के स्वैच्छिक प्रकटीकरण को भी लागू कर सकता है.

अधिकारियों ने कहा कि व्यापारियों द्वारा गेहूं की अधिक खरीद के कारण गेहूं की खरीद गिर गई है क्योंकि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण उपज का बाजार मूल्य बढ़ गया है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement