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Gujarat Riots 2002: बिलकिस बानो की रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर की थी याचिका

बिलकिस बानो ने साल 2002 में उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए ठहराए गए 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी थी.

Gujarat Riots 2002: बिलकिस बानो की रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर की थी याचिका

बिलकिस बानो. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो (Bilkis Bano) को शनिवार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में उनकी तरफ से सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) से मांग की थी कि वह अपने उस आदेश की समीक्षा करे, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की नीति के तहत 11 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था. बिलकिस बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच से अनुरोध किया कि इस मामले में सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन किया जाए. जिस पर सीजेआई ने कहा था 'रिट याचिका को सूचीबद्ध किया जाएगा. बार-बार इस बात को दौहराने का कोई मतलब नहीं है.'

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महिला आयोग ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल का बयान आया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की अर्जी खारिज कर दी. बिलकिस बानो का 21 साल की उम्र में गैंग रेप किया गया, उसके 3 साल के बेटे और 6 परिवार वालों का कत्ल कर दिया गया. लेकिन गुजरात सरकार ने उसके सभी रेपिस्ट को आजाद कर दिया. अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहां जाएंगे?'

15 अगस्त को गुजरात सरकार ने किया था रिहा
गौरतलब है कि 15 अगस्त को बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. इन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी लेकिन 15 साल की जेल की सजा काटने के बाद गुजरात सरकार ने उनकी रिहाई के आदेश दिए थे. इन दरिंदों ने 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद (Dahod) जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और उनके परिवार के 7 लोगों की बेहरमी से हत्या कर दी थी. कोर्ट ने इन दरिंदों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

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