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Manish Sisodia रहेंगे 17 तक ED के रिमांड पर, CBI केस में जमानत पर सुनवाई 11 दिन टली, 5 प्वॉइंट्स में जानें आज क्या हुआ

Manish Sisodia Case Hearing: दिल्ली एक्साइज पॉलिसी से जुड़े केस में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को ईडी ने आज राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था.

Manish Sisodia रहेंगे 17 तक ED के रिमांड पर, CBI केस में जमानत पर सुनवाई 11 दिन टली, 5 प्वॉइंट्स में जानें आज क्या हुआ

manish Sisodia ED

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डीएनए हिंदी: Delhi Excise Policy Scam- दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राउज एवेन्यू स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को 7 दिन के रिमांड पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंप दिया है. हालांकि ईडी ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में 10 दिन के रिमांड की मांग की थी, जिस पर दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पहले कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. करीब 5 बजे कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, जिसमें ईडी को 17 मार्च तक मनीष सिसोदिया को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की इजाजत दी गई है. उधर, एक अन्य अदालत ने सीबीआई की तरफ से इस मामले में दर्ज केस में मनीष सिसोदिया की तरफ से दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई टल गई है. कोर्ट ने सुनवाई को 21 मार्च तक के लिए टाल दिया है. इसका मतलब है कि मनीष को 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में ही रहना होगा.

इससे पहले दिल्ली एक्साइज पॉलिसी से जुड़े शराब घोटाले में पहले ही सीबीआई हिरासत में चल रहे मनीष बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी गिरफ्तार कर लिए थे. ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है. इस मामले में ही रिमांड लेने के लिए शुक्रवार को ईडी टीम मनीष को दोपहर करीब 2 बजे तिहाड़ जेल से राउज एवेन्यू कोर्ट लेकर पहुंची, जहां स्पेशल जज एमके नागपाल की कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है.

ईडी ने रिमांड के लिए क्या दलीलें दी हैं और सिसोदिया के वकील ने उनका कैसे विरोध किया है, आइए 5 प्वॉइंट्स में जानते हैं 

1. ईडी ने कहा, दूसरे लोगों से सामना कराना है

ईडी की तरफ से पेश वकील जोहेब हुसैन ने मनीष सिसोदिया से पूछताछ की जरूरत बताते हुए 10 दिन का रिमांड दिए जाने की मांग की है. उन्होंने शराब घोटाले से जुड़े तथ्यों के सत्यापन के लिए सिसोदिया का सामना 7 अन्य लोगों से कराने की बात कही है, जिन्हें इस मामले में नोटिस भेजा गया है. हालांकि मनीष के वकील दया कृष्णन ने रिमांड पर सौंपे जाने का विरोध किया है.

2. ईडी का दावा- नियम बदलकर खास लोगों को दिया गया लाभ

ईडी ने सुनवाई के दौरान दावा किया है कि नई एक्साइज पॉलिसी बनाने का काम साजिश के तहत किया गया. शराब की बिक्री के लाभ का मार्जिन 6% से 12% करने का काम कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए था. ईडी के वकील जोहेब हुसैन ने कहा, सिसोदिया का असिस्टेंट विजय नायर उनकी तरफ से प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहा था. इस साजिश में तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता भी शामिल थी, जो सीधे सिसोदिया के साथ संपर्क में थी. साथ ही कई अन्य बिचौलिए व सरकारी अधिकारी भी इसमें शामिल हैं.

3. ईडी का दावा- आप नेताओं ने ली 100 करोड़ की रिश्वत

ईडी के वकील ने कहा, दक्षिण का एक ग्रुप दिल्ली में 30% शराब कारोबार चलाने के लिए बनाया गया. इस ग्रुप की तरफ से के. कविता और सिसोदिया की तरफ से विजय नायर आपस में मिले. आपस में सबकुछ तय किया गया. इसके बाद आप नेताओं को दक्षिण के इस ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई. 

4. सिसोदिया के फोन-सिम उनके नाम पर क्यों नहीं थे?

ईडी ने सवाल उठाया कि सिसोदिया ने एक साल में 14 फोन खरीदे और उन्हें तोड़ दिया. इनमें एक भी फोन सिसोदिया का खुद खरीदा हुआ नहीं था. सिमकार्ड भी दूसरों के नाम पर थे. एक सिमकार्ड देवेंदर शर्मा के नाम पर था. यह सब साजिशन किया गया ताकि इसे बचाव में इस्तेमाल किया जा सके. इस केस में सबूतों को ऐसे ही बड़े पैमाने पर तबाह किया गया. वकील ने कहा कि यही कारण है हम कस्टडी चाहते हैं. सिसोदिया हर बात के जवाब में टालमटोल कर रहे हैं.

5. सिसोदिया के वकील ने बचाव में दी ये दलीलें

सिसोदिया के वकील ने कहा, ED पॉलिसी को गलत बता रही है, जिसे निर्वाचित सरकार ने बनाया है. यह कई चरण से होकर बनती है. सरकार देखती है, अफसर देखते हैं. इसके बाद उपराज्यपाल देखते हैं. तब पॉलिसी मंजूर होती है. यह नीति केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उपराज्यपाल ने देखी थी तो 3 सवाल किए थे. उनमें कोई भी सवाल प्रॉफिट मार्जिन में बढ़ोतरी को लेकर नहीं था. ईडी को पॉलिसी जल्दबाजी में लागू करने पर ऐतराज हैं, लेकिन नोटबंदी भी जल्दबाजी में हुई थी और सुप्रीम कोर्ट उसे संवैधानिक मान चुका है. ऐसी जल्दबाजी के कई उदाहरण हैं. 

सिसोदिया के वकील ने कहा, ED अभी तक विजय नायर और सिसोदिया के बीच एक भी रुपये के लेनदेन का लिंक नहीं ढूंढ पाई है. दस्तावेज देख लीजिए. सब जगह ED कह रही है कि हमने ऐसा सुना या हमने वैसा सुना. सबूत कहीं नहीं हैं.

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