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Hybrid Terrorist: कौन होते हैं हाइब्रिड आतंकी? सुरक्षाबलों के लिए क्यों बने हुए हैं चुनौती

Hybrid Terrorist: कश्मीर में धारा-370 हटने के बाद हाइब्रिड आतंकियों के जरिए आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. 

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Hybrid Terrorist: कौन होते हैं हाइब्रिड आतंकी? सुरक्षाबलों के लिए क्यों बने हुए हैं चुनौती
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डीएनए हिंदीः जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों मालदेरा इलाके में केंद्रीय सुरक्षा बल, 44 राष्ट्रीय राइफल और जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) पुलिस के संयुक्त अभियान में एक हाइब्रिड आतंकी (Hybrid Terrorist) को गिरफ्तार किया गया. इसकी पहचान यावर अहमद के रूप में की गई. यह हेफ जैनपोरा का रहने वाला है. पुलिस के मुताबिक अहमद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है. बुधवार को भी पुलिस ने कश्मीर के शोपियां में एक व्यक्ति को हाइब्रिड आतंकी बताते हुए गिरफ्तार किया. इस व्यक्ति पर आरोप है कि इसने प्रवासी मजदूरों पर हुए हमले में लश्कर का सहयोग किया है. आखिर हाइब्रिड आतंकी कौन होते हैं और यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती क्यों बने हुए हैं.   

हाइब्रिड आतंकी कौन होते हैं?
हाइब्रिड आतंकी सामान्य आतंकी से अलग होते हैं. यह सामान्य जिंदगी जीत है. किसी घटना को अंजाम देते हैं और उसके बाद फिर उसी जिंदगी में वापस चले जाते हैं.सुरक्षा एजेंसियों के लिए उन्हें ट्रैक करना और उनका पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि वे आम जनता के बीच रहते हैं. इसके खिलाफ पहले से पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड भी नहीं होता है. ऐसे में यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बने रहते हैं. यह आतंकी स्लीपर सेल की तरह काम करते हैं. पड़ोसी मुल्क इन आतंकियों का इस्तेमाल लोगों में भय पैदा करने के लिए करता है.  

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सुरक्षा एजेंसियों के लिए क्यों बने चुनौती?
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि सूबे में हाइब्रिड आतंकी एक्टिव हैं जिनका शायद ही कोई आतंक से जुड़ा मामला रिकॉर्ड पर हो. वे अपनी पहली गतिविधि के साथ ही आतंकी बनते हैं. पुलिस के मुताबिक यह पहली घटना के बाद ही आतंकी बन जाते हैं. आतंकी युवाओं को भटकाकर आतंक के रास्ते पर ले आते हैं. ऐसे युवा पाकिस्तान के जासूस के रूप में काम करते हैं.   
  
सबसे पहले कम सामने आया नाम?
हाइब्रिड आतंकी शब्द सबसे पहले 7 अक्टूबर 2021 को श्रीनगर में दो गैर मुस्लिम टीचर की हत्या के बाद सामने आया था. इस घटना के आरोपी आतंकी संगठन TRF से जुड़े थे. जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी संचित शर्मा ने इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल किया था. संचित शर्मा ने ही श्रीनगर में 17 फरवरी 2021 को कृष्णा ढाबा पर आतंकियों को पहले को नाकाम साबित किया था. 

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किन लोगों को बनाते हैं निशाना?
इन आतंकियों को कोई खास ट्रेनिंग नहीं मिली होती है. यह निहत्थे लोगों को निशाना बनाते हैं. यह ऐसा टारगेट चुनते हैं जिसमें जवाबी कार्रवाई की गुंजाइश कम ही हो. हाइब्रिड आतंकी व्यवसायी (अल्पसंख्यक समुदाय से), कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता बिना सुरक्षा और ऑफ-ड्यूटी पुलिसकर्मी आदि को निशाना बनाते हैं. सूत्रों के मुताबिक हाइब्रिड आतंकवादियों ने नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. यह एके-47 के साथ चलने के बजाय एक छोटी पिस्तौल को जेब में रखना बेहतर समझते हैं क्योंकि इसे ले जाना आसान है.  

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