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Russia Ukraine War: रूस आखिर चाहता क्या है? ताबड़तोड़ हमलों के बाद Ukraine के पास क्या बचे रास्ते ?

पुतिन का कहना है कि पश्चिमी देशों ने 1990 में ये वादा किया था कि पूर्व की ओर नाटो एक इंच भी विस्तार नहीं करेगा, लेकिन इस वादे को तोड़ा गया है.

Russia Ukraine War: रूस आखिर चाहता क्या है? ताबड़तोड़ हमलों के बाद Ukraine के पास क्या बचे रास्ते ?

What does Russia want after the attack on Ukraine What are the ways for Ukraine after the swift attacks

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डीएनए हिंदीः यूक्रेन (Ukraine) के साथ जारी रूस (Russia) की जंग का फिलहाल कोई समाधान निकलता दिखाई नहीं दे रहा है.  नाटो (NATO) को लेकर रूस की 2 मांगें सामने आ रही हैं. पहली ये है कि नाटो का अब और विस्तार ना किया जाए. इसके लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन एक पुख्ता और कानूनी रूप से मजबूत आश्वासन चाहते हैं. पुतिन का तर्क ये भी है कि अगर यूक्रेन नाटो का हिस्सा बनता है तो वह क्रीमिया पर दोबारा कब्जे की कोशिश कर सकता है. पुतिन का मानना है कि पश्चिमी देशों ने 1990 में ये वादा किया था कि पूर्व की ओर नाटो एक इंच भी विस्तार नहीं करेगा, लेकिन इस वादे को तोड़ा गया है. हालांकि यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि पुतिन जिस वक्त की बात कर रहे हैं, उस समय तक सोवियत संघ अस्तित्व में था. फिलहाल नाटो के सदस्य 30 देश हैं और उनकी नीति 'हर किसी के लिए दरवाज़े खुले रखने' की है. ये सभी देश इस नीति से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

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अब आगे क्या करेगा रूस? 
यूक्रेन पर लगातार हो रहे हमलों के बाद यह माना जा रहा है कि रूसी सेना यूक्रेन के पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी इलाकों पर हमला करते हुए वहां की निर्वाचित सरकार को पद से हटाने की कोशिश कर सकती है. ऐसी खबरें आ रही हैं कि रूस की सेना बेलारूस की ओर से भी यूक्रेन पर हमला कर सकती है. रूस पहले ही यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित कर कर वहां के बंदरगाहों को कब्जे में लेने की कोशिश में हैं. वहीं पड़ोसी मुल्क बेलारूस में रूस अपने परमाणु हथियार तैनात कर सकता है. इतना ही नहीं रूस ने यूक्रेन पर साइबर हमले भी तेज कर दिए हैं. 

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यूक्रेन के पास क्या बचे रास्ते?
यूक्रेन को फिलहाल नाटो में शामिल किया जाना संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकि यूरोपियन यूनियन में उसका शामिल होना तय हो चुका है. यूक्रेन को यूरोपियन यूनियन की सदस्यता देने के लिए मंगलवार को यूरोपीय संसद में वोटिंग की गई. इस दौरान यूक्रेन के पक्ष में 637 वोट पड़े, जबकि 13 वोट उसके विरोध में रहें. वहीं, 26 प्रतिनिधि वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे. इस तरह यूक्रेन की यूरोपियन यूनियन में एंट्री पर मुहर लग गई है. ये वोटिंग पूरी तरह से एकतरफा रही है. दूसरी तरफ यूरोपीय देशों के अलावा भी यूक्रेन को दुनिया के कई अन्य देशों से हथियार समेत आर्थिक मदद मिल रही है. इससे उसे रूस के साथ युद्ध में मदद मिलेगी. वहीं रूस के साथ बातचीत कर किसी समाधान पर पहुंचने का रास्ता अभी भी खुला हुआ है. 

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