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Mahatma Gandhi का क्रिकेट कनेक्शन कर देगा हैरान, एक गेंद पर उखाड़ दिए थे तीनों स्टंप

स्कूल के दिनों में मजबूरन महात्मा गांधी को क्रिकेट खेलना शुरू करना पड़ा था. जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो सबके चहेते भी बन गए.

Mahatma Gandhi का क्रिकेट कनेक्शन कर देगा हैरान, एक गेंद पर उखाड़ दिए थे तीनों स्टंप

mahatma gandhi

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डीएनए हिंदी: भारत की आजादी का इतिहास जब भी चर्चा में होगा, महात्मा गांधी का नाम उसमें सबसे अहम होगा. उनका सत्य और अहिंसा का पाठ, सादा जीवन और उच्च विचार की नीति सभी जानते हैं. मगर बापू का बचपन और उनकी जिंदगी से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जिनके बारे में चर्चा कम ही हो पाती है.

ऐसी ही एक बात है महात्मा गांधी और खेलों के प्रति उनके रुझान की. महात्मा गांधी को खेलों में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी. ना ही उन्हें किसी तरह की शारीरिक मेहनत करना पसंद था. मगर पोरबंदर में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें मजबूरन खेलों में शामिल होना पड़ा. उनके स्कूल के प्रधानचार्य की तरफ से एक खेल खेलना अनिवार्य कर दिया गया था. इसी के तहत उन्होंने क्रिकेट में हाथ आजमाया. क्रिकेट से जुड़ा उनका एक किस्सा काफी मशहूर बताया जाता है. एक बार उनके एक दोस्त शेख महताब ने उन्हें गेंदबाजी करने के लिए कहा. उस वक्त गांधी जी ने ऐसी गेंदबाजी की कि एक बार में तीनों स्टम्प उखड़ गए. 

जिनके नाम पर शुरू हुई रणजी ट्रॉफी, वह थे महात्मा गांधी के रूममेट
यह भी दिलचस्प है कि रणजी ट्रॉफी का नाम जिन महाराजा के नाम पर रखा गया था, वह भी राजकोट में महात्मा गांधी के रूममेट थे. रणजीत सिंह बाद में पढ़ाई के लिए लंदन चले गए. लंदन में रणजीत सिंह ने जिस तरह क्रिकेट खेली उससे अंग्रेजों का मन खुश हो गया और उन्होंने इंग्लैंड की क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना ली. वह इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले भारतीय मूल के पहले क्रिकेटर थे. 

यह तो दुनिया जानती है कि महात्मा गांधी रंग भेद या जाति भेद में यकीन नहीं करते थे. इसका सबूत क्रिकेट की दुनिया में भी दर्ज है. ब्रिटिश भारत के दौरान मुंबई में 5 टीमों का एक टूर्नामेंट खेला जाता था, जो बेहद लोकप्रिय था. लेकिन इस टूर्नामेंट की टीमें धार्मिक पहचान पर चुनी जाती थीं यानी हिंदू क्लब, पारसी इलेवन, मुस्लिम क्लब, यूरोपीय इलेवन. 

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धार्मिक पहचान पर चुनी जाती थी टीमें, किया इसका विरोध
गांधी जी को 1940 में जब इस टूर्नामेंट की जानकारी मिली तो उन्होंने बेहद दुख जताया. उनकी आलोचना को उस समय के सभी प्रमुख अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर जगह दी. नतीजा ये रहा कि हिंदू जिमखाना में इस टूर्नामेंट में टीम नहीं भेजने का प्रस्ताव पेश कर दिया गया. इस पर वोटिंग हुई और 37 वोट की जीत के साथ प्रस्ताव पारित हो गया. बाद में अन्य टीमों ने भी इससे हाथ खींच लिए और यह टूर्नामेंट ही बंद हो गया.

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