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77th UNGA: संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहला भाषण ब्राजील का ही क्यों होता है? जानिए इसके पीछे की वजह

77th UNGA: 1955 से संयुक्त राष्ट्र में एक परंपरा चली आ रही है. इसमें पहला भाषण ब्राजील का ही होता है. इसके पीछे एक रोचक कारण है. 

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77th UNGA: संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहला भाषण ब्राजील का ही क्यों होता है? जानिए इसके पीछे की वजह
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डीएनए हिंदीः अमेरिका (America) के न्‍यूयॉर्क में इन दिनों संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा (United Nations General Assembly) का 77वां सत्र चल रहा है. दुनिया के कई शीर्ष देशों के नेता न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं. शनिवार यानी 24 सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखेंगे. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका से लेकर भारत और दुनिया के कई विकसित देशों के भाषण होते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां पहला भाषण ब्राजील का ही होता है. इसके पीछे एक खास वजह है.  

5 दिनों तक चलती है आम सभा
बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद हर साल इस बैठक का आयोजन किया जाता है. इस दौरान ग्‍लोबल लीडर्स अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं. यूएन के स्‍थायी सदस्‍य अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और रूस के अलावा भारत और पाकिस्‍तान जैसे देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष यहां पर मिलते हैं. यह सभा 5 दिनों चलती है. 

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ब्राजील के भाषण से होती है शुरुआत
महासभा में वैसे तो कई देशों के भाषण होते हैं लेकिन इसकी ओपनिंग ब्राजील के राष्‍ट्रपति के संबोधन के साथ होती है. आखिर क्‍यों मेजबान देश की जगह ब्राजील जैसे देश को पहले मौका मिलता है? साल 2010 में एनपीआर को दिए इंटरव्‍यू में यूएन के प्रोटोकॉल चीफ डेसमेंड पार्कर ने इसकी वजह बताई थी. इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ‘जिस समय उंगा की शुरुआत हुई, उस समय कोई भी राष्‍ट्राध्‍यक्ष ऐसा नहीं था जो पहले भाषण देना चाहता हो. मगर ब्राजील हमेशा रेडी रहता था. उसकी तरफ से हमेशा पहले स्‍पीच की पेशकश की जाती थी.’ उन्‍होंने बताया कि इस वजह से साल 1955 से आज तक ये परंपरा चली आ रही है. तब से ही ब्राजील को हमेशा पहले बोलने का मौका मिलता है.

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ब्राजील के बाद अमेरिका का नंबर
संयुक्त राष्ट्र में ब्राजील के भाषण के बाद अमेरिका का नंबर आता है. इसके बाद कौन बोलेगा इसका फैसला सदस्‍य देशों की तरफ से आए प्रतिनिधिमंडल, पसंद और दूसरे विकल्‍पों जैसे भौगोलिक संतुलन को देखकर लिया जाता है.  

अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था हिंदी में भाषण  
1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव  में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी. इस सरकार में भारतीय जनसंघ भी शामिल था. अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीते थे. इस सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया था. इसी दौरान 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में उन्होंने हिस्सा लिया और वह कर दिखाया जो उस समय तक किसी भी देश ने नहीं किया था. इस बैठक के दौरान उन्होंने हिंदी में अपना भाषण दिया. उनके द्वारा हिंदी में दिया गया यह पहला संबोधन था. संयुक्त राष्ट्र महासभा में अटल बिहारी वाजपेयी का संबोधन अंग्रेजी भाषा में लिखा गया था, लेकिन उन्होंने उसके हिंदी अनुवाद को ही पढ़ा था.  

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