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त्रिशूल, मशाल या सूरज क्या बनेगा 'शिवसेना' का नया निशान? उद्धव गुट ने EC को सौंपे नाम

शिवसेना के दोनों गुटों को अब अपने लिए नया नाम और नए चुनाव चिह्न चुनने हैं. इस कड़ी में उद्धव ठाकरे ने अपने विकल्प चुनाव आयोग के सामने पेश कर दिए हैं.

त्रिशूल, मशाल या सूरज क्या बनेगा 'शिवसेना' का नया निशान? उद्धव गुट ने EC को सौंपे नाम

उद्धव ठाकरे

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डीएनए हिंदी: काफी समय से चल रहा शिवसेना के वर्चस्व का विवाद अब दोनों गुटों के लिए पार्टी के नए नाम और नए चुनावी चिह्न तक पहुंच गया है. शनिवार देर शाम चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष बाण फ्रीज कर दिया था. इसके बाद दोनों गुटों को सोमवार दोपहर 1 बजे  तक नए नाम और नए चुनावी चिह्न के विकल्प पेश करने के लिए कहा गया था. अब उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी के नाम और नए निशान के विकल्पों की सूची चुनाव आयोग को सौंप दी है.  मातोश्री में उद्धव गुट के नेताओं की बैठक में चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार पार्टी का नए नाम और चिह्न पर चर्चा हुई थी. इसके बाद ही यह सूची चुनाव आयोग को दी गई है.

क्या है उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से नए नाम
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने बताया कि हमारी पार्टी का नाम शिवसेना है. अगर चुनाव आयोग शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे)', 'शिवसेना (प्रबोधनकर ठाकरे)' या 'शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)' सहित शिवसेना से संबंधित कोई भी नाम देता है, तो वह हमें स्वीकार्य होगा.

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क्या हैं नए चुनाव चिह्न के विकल्प
अरविंद सावंत ने कहा, 'चुनाव आयोग ने हमारे चुनाव चिन्ह को सील कर दिया है. उन्होंने हमें चिह्नों के सुझाव मांगे थे जिस पर हमने 'त्रिशूल', 'मशाल' और 'उगता हुआ सूरज' ये तीन विकल्प आयोग को दिए हैं. अब इस पर चुनाव आयोग फैसला करेगा कि हमें कौन सा चुनाव चिह्न दिया जाना चाहिए. 

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शिवसेना और चुनाव चिह्न का इतिहास
बाला साहेब ठाकरे ने सन् 1966 में शिवसेना का गठन किया था. दो साल बाद सन् 1968 में इसका एक राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ. तब पार्टी का चुनाव चिह्न ढाल और तलवार था. 1971 में शिवसेना ने पहला चुनाव लड़ा, मगर तब जीत नसीब नहीं हुई. सन् 1978 में पार्टी ने रेल इंजन को चुनाव चिह्न बनाया.  साल 1985 के विधानसभा चुनाव में जब धनुष-बाण चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ा गया तब पार्टी को जीत हासिल हुई.

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