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Nandan Nilekani से बोला टैक्सी ड्राइवर-लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों का न बनाएं आधार कार्ड

Nandan Nilekani Aadhar Project: इन्फोसिस कंपनी के मुखिया और आधार प्रोजेक्ट के अगुवा रहे नंदर नीलेकणि से एक बार एक ड्राइवर ने कहा था कि गलत तरीके से गाड़ी चलाने वालों का आधार कार्ड ही न बनवाएं.

Nandan Nilekani से बोला टैक्सी ड्राइवर-लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों का न बनाएं आधार कार्ड

नंदर नीलेकणि

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डीएनए हिंदी: मशहूर कारोबारी नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani ) ने देश में आधार कार्ड परियोजना की अगुवाई की थी. नंदन नीलेकणि की पत्नी रोहिणी ने एक मजेदार किस्सा शेयर किया है. उन्होंने बताया है कि एक बार एक टैक्सी वाले (Taxi Driver) ने नंदन नीलेकणि से कहा था कि जो ड्राइवर सही तरीके से गाड़ी नहीं चलाते हैं उन्हें आधार कार्ड (Aadhar Card) न जारी किए जाएं. इस घटना का जिक्र नंदन नीलेकणि की पत्नी रोहिणी ने अपनी नई किताब 'समाज, सरकार, बाजार: ए सिटिजन-फ़र्स्ट अप्रोच' में किया है.

नीलकेणि ने बताया कि एक बार वह अपनी पत्नी रोहिणी के एयरपोर्ट पर पैदल ही सड़क पार कर रहे थे. तभी एक कार उनके पास से गुजरी, जो लगभग उन्हें टक्कर मारने ही वाली थी. गाड़ी की रफ़्तार देखकर नंदन और उनकी पत्नी को वापस फुटपाथ पर लौटना पड़ा. वे इस हादसे से उबर ही रहे थे कि पास ही खड़ा एक टैक्सी चालक चिल्लाया, 'सर आप उसको आधार कार्ड मत देना.'

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नंदन की पत्नी रोहिणी ने अपनी किताब में किया घटना का जिक्र
इस मनोरंजक घटना का उल्लेख रोहिणी की नई किताब 'समाज, सरकार, बाजार: ए सिटिजन-फर्स्ट अप्रोच' में मिलता है. यह पुस्तक 4 अगस्त को लॉन्च होगी. इस पुस्तक में उन्होंने समाज, राज्य और बाजारों के तीन क्षेत्रों के बीच एक गतिशील संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया है और तीन दशक से अधिक समय के अपने नागरिक जुड़ाव और परमार्थ के कार्यों से मिली सीख का जिक्र किया है. रोहिणी लिखती हैं, 'अगर हम भूल जाते हैं कि हम सबसे पहले समाज के सदस्य हैं और इसके बजाय खुद को राज्य के लाभार्थी के रूप में या बेहतर भौतिक जीवन की तलाश में बाजार के उपभोक्ता के रूप में देखते हैं, तो हम ‘समाज’ की मूलभूत सर्वोच्चता को खतरे में डाल देंगे। यह अनिवार्य रूप से समय के साथ व्यक्तिय और समुदाय के तौर पर हमारे अपने हितों को खतरे में डालेगा.' 

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वह कहती हैं कि उनकी पुस्तक इन तीन क्षेत्रों की बदलती भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण सार्वजनिक बहस में शामिल होने के लिए विचारकों, शोधकर्ताओं, लेखकों, नागरिक नेताओं और सभी नागरिकों को एक निमंत्रण है. वह इस बात की वकालत करती हैं कि एक अच्छे समाज की तलाश समाज को आधारभूत क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के साथ शुरू होती है, ताकि राज्य और बाजारों को व्यापक जनहित के लिए जवाबदेह बनाया जा सके. 

रोहिणी ने अपनी किताब में लिखा है, 'समकालीन भारत की जटिल सामाजिक समस्याओं को देखते हुए, तीनों क्षेत्रों को मिलकर और आपसी सम्मान के साथ काम करने की जरूरत है.'

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