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Uma Bharti ने एक साथ क्यों कर दिए 41 ट्वीट? गंगा मंत्रालय से हटाए जाने की भी बताई कहानी

Uma Bharti 41 Tweets: बीजेपी की नेता उमा भारती ने दर्जनों ट्वीट करके शराबबंदी पर अपनी बात रखी है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि उन्हें गंगा मंत्रालय से क्यों हटा दिया गया था.

Uma Bharti ने एक साथ क्यों कर दिए 41 ट्वीट? गंगा मंत्रालय से हटाए जाने की भी बताई कहानी

शराबबंदी के खिलाफ आर या पार के मूड में हैं उमा भारती

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डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता उमा भारती (Uma Bharti) ने अपनी ही पार्टी, राजनीति और शराबबंदी के खिलाफ अपने अभियान पर खुलकर बात रखी है. मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक के बाद एक करके कुल 41 ट्वीट किए हैं. उन्होंने यह भी बताया है कि केंद्र सरकार में गंगा मंत्रालय (Ganga Mantralaya) से उन्हें क्यों हटाया गया. साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा उनके नेता है और ये लोग हमेशा उनके नेता बने रहेंगे. हालांकि, उमा भारती के इस 'ट्वीट-वार' ने राजनीतिक सनसनी पैदा करके रख दी है.

उमा भारती ने मध्य प्रदेश में शराबबंदी करवाने के लिए मुहिम छेड़ रखी है. उनका कहना है कि बीजेपी शासित राज्य गुजरात की तरह ही मध्य प्रदेश में भी शराब बंद की जानी चाहिए. कुछ दिन पहले उनका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वह शराब की दुकान पर पत्थर मारती दिखाई दीं. इसी मामले पर उमा भारती ने जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा था और अब वही पत्र सार्वजनिक कर दिया है. पत्र में उमा भारती ने लिखा है कि शराबबंदी उनके निजी अंहकार का नहीं, सामाजिक मुद्दा है. उन्होंने जेपी नड्डा से अपील की है कि सभी बीजेपी शासित राज्यों में एक जैसी शराब नीति अपनाई जाए और मध्य प्रदेश में भी शराबबंदी लागू की जाए.

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उमा भारती के ट्वीट

ट्वीट करके दी सफाई
इस पत्र पर अखबारों में कुछ खबरें छपने के बाद उमा भारती ने फिर से ट्वीट किए और अपनी सफाई दी कि उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लोगों से कभी कोई मुलाकात नहीं की. उमा भारती ने कहा है कि शराबबंदी के खिलाफ उनके अभियान की वजह से शराब माफिया उनके पीछे पड़ेंगे और उन पर कई संकट भी आएंगे लेकिन वह हर तरह से तैयार हैं.

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उमा भारती से क्यों छिना गंगा मंत्रालय?
गंगा मंत्रालय से हटाए जाने के मामले का सिलसिलेवार जिक्र करते हुए उमा भारती ने लिखा है, 'गंगा की अविरलता पर दिया गया मेरे मंत्रालय का एफिडेविट सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के विपरीत था. ऊर्जा, पर्यावरण एवं मेरे जल संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी बनी जिसमें तीनों को मिलाकर गंगा पर प्रस्तावित पॉवर प्रोजेक्ट पर एफिडेविट बनाना था. तीनों मंत्रालयों की गंगा की अविरलता पर सहमति नहीं बन पा रही थी. विश्व के, भारत के सभी पर्यावरण विषेषज्ञों की राय एवं अरबों गंगा भक्तों की आस्था दांव पर लगी थी.'

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उमा भारती ने आगे लिखा है, ' मैंने और मेरे गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया. स्वाभाविक है कि मैंने अनुशासनहीनता की, मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई. श्री अमित शाह जी जो हमारे उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, वह गंगा की अविरलता के पक्ष में हमेशा रहे. उन्हीं के हस्तक्षेप से मुझे निकाला नहीं गया किन्तु विभाग बदल दिया गया, इतना तो होना ही था.  विभाग श्री नितिन गडकरी जी के पास पहुंचा और उन्होंने मुझे कभी गंगा से अलग नहीं किया. मुझे गंगा से जोड़े रखने की राह वह निकालते रहे जिस पर श्री अमित शाह जी का भी समर्थन रहा.'

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