Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Police File: ...डॉन जिसने 'भगवान' को भी नहीं बख़्शा

कलाकृतियों की चोरी करने वाले अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन सुभाष कपूर का कैसे बढ़ता रहा कारोबार? बता रहे हैं मनीष कौशल...

Police File: ...डॉन जिसने 'भगवान' को भी नहीं बख़्शा

Dawn Subhash Kapoor.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: क्या आप जानते हैं कि प्राचीन मूर्तियों की तस्करी का अंतर्राष्ट्रीय रैकेट कैसे चलता है? क्या आप जानते हैं कि मूर्ति चोरों के अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन कौन है? अमेरिका से स्मगलिंग रैकेट चलाने वाला वो डॉन कौन था, जिसके इशारे पर वर्षों तक देश के अलग-अलग हिस्से से मूर्तियां चुराईं जातीं रहीं, सारी सुरक्षा व्यवस्था को भेदते हुए उन्हें इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचा दिया जाता था? कहानी बेहद दिलचस्प है.

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एक मंदिर से 2005 में चोरी हुई 'उमा परमेश्वरी' की एक मूर्ति की 2008 में 25 लाख डॉलर की कीमत लगाई गई थी. रुपयों में कहें तो उस वक्त के हिसाब से करीब 11 करोड़ रुपए. उस मूर्ति को तमिलनाडु से चोरी करने के बाद भारत से तस्करी कर हॉन्ग कॉन्ग ले जाया गया, वहां से चोरी छिपे मूर्ति को लंदन पहुंचाया गया. लंदन में विशेषज्ञों नें करोड़ों रुपए में उस मूर्ति को रीस्टोर किया, उसे नया सा बनाया और फिर उसे न्यूयॉर्क पहुंचा दिया गया.

2008 में न्यूयॉर्क में एक आर्ट डीलर ने उसे अपने कैटलॉग में रख दिया ताकि उसकी बोली लगाई जा सके, उसका नाम सुभाष कपूर था. अमेरिका के सबसे बड़े आर्ट डीलरों में एक लेकिन ये छवि 2011 में टूट गई जब सुभाष कपूर जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर गिरफ्तार हो गया. तब दुनिया को पता चला कि जिसे वो आर्ट डीलर समझती आई थी, दरअसल वो दुनिया में चोरी की मूर्तियों और कलाकृतियों का सबसे बड़ा चोर था, कलाकृतियों की चोरी करने वाले अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन. उसका रैकेट इतना बड़ा था कि भारत ही नहीं पाकिस्तान, अफगानिस्तान, थाईलैंड और नेपाल के मंदिरों से चोरी की गईं मूर्तियां, उसके पास अपने आप पहुंच जातीं थीं. 

Police File: बिकनी किलर Charles Sobhraj जिसे खूबसूरत औरतों के कत्ल का था शौक
 

'भगवान' को लूटने था सुभाष कपूर

 2012 में न्यूयॉर्क में सुभाष कपूर की ऑर्ट गैलरी पर अमेरिका की पुलिस ने छापा मारा. उसके ठिकाने से चोरी की छोटी-बड़ी 2600 कलाकृतियां बरामद की गईं. अमेरिकी डॉलर में उनकी कीमत करीब 2 करोड़ लगाई गई यानि तब के करेंसी रेट के मुताबिक करीब 1 अरब 5 करोड़ रुपये. ये उन मूर्तियों की कीमत है जिन्हें न्यूयॉर्क में कपूर के गोदाम से बरामद किया गया. अमेरिकी पुलिस की जांच के मुताबिक कपूर ने बड़ी चलाकी से लगभग 30 साल तक मूर्तियों की चोरी के धंधे को चलाया. इस दौरान उसने और उसके रैकेट ने 1000 से ज्यादा कलाकृतियों की चोरी की. सुथामल्ली से 2008 में गायब हुई 800 साल पुरानी नटराज की प्रसिद्ध मूर्ति और 2006 में श्रीपुरन्थन से गायब हुई नृत्य करते शिव की मूर्ति की चोरी के पीछे भी सुभाष कपूर का ही हाथ माना जाता है.

Crime Episode.

'ऑपरेशन हिडेन ऑयडल' को कैसे FBI ने दिया अंजाम?

दुनिया के सामने सुभाष कपूर की दोहरी जिंदगी का सच 2011 में आया लेकिन कानून की निगाहों में वो फरवरी 2007 को ही आ चुका था. दरअसल उस दिन न्यूयॉर्क में पानी के जहाज से फर्नीचर का एक कन्साइंगमेंट पहुंचा था. हकीकत में उसमें फर्नीचर नहीं बल्कि चोरी की मूर्तियां थीं. अमेरिका और मुंबई दोनों ही जगह पुलिस से किसी ने ये मुखबिरी की थी कि उसमें चोरी की कलाकृतियां हैं, लिहाजा उसके न्यूयार्क पहुंचते ही उसे जब्त कर लिया गया. पुलिस को अब इंतजार था कि उसकी दावेदारी लेने कौन आता है? लेकिन सुभाष कपूर के जासूसों का जाल बहुत मजबूत था. उसे खबर लग गई और उस माल को लेने कोई भी बंदरगाह नहीं पहुंचा. इसके बाद FBI ने 'ऑपरेशन हिडेन ऑयडल' नाम से एक खुफिया अभियान शुरू किया. जुर्म की तह तक पहुंचने की महारत के लिए मशहूर FBI ने आखिरकार कलाकृतियों के उस चोर का पता लगा ही लिया. 2011 में FBI द्वारा जारी इंटरपोल नोटिस के आधार पर सुभाष कपूर को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया.


जेल में कैसे पहुंचा डॉन?

FBI द्वारा जारी इंटरपोल नोटिस पर जर्मनी में गिरफ्तारी के बावजूद सुभाष कपूर को भारत प्रत्यार्पित किया गया. कपूर तमिल नाडु के त्रिचरापल्ली की सेंट्रल जेल में बंद है. चोरी की कलाकृतियों के अंडरवर्ल्ड के बहुत से राज अब बाहर आ चुके हैं. इस मामले में 2016 में तमिल नाडु पुलिस के मूर्ति चोरी के खिलाफ बने विभाग के दो पुलिस अफसर भी गिरफ्तार हुए. खबरों के मुताबिक जिस विभाग को मूर्तियों की चोरी रोकने के लिए बनाया गया था, उसके बहुत से पुलिस वाले विभीषण साबित हुए. सुभाष कपूर के इशारे पर उनके संरक्षण में चोरों का एक नेटवर्क मंदिरों से मूर्तियों की चोरी करता था. 


ऐसे चलता रहा है धंधा

खबरों के मुताबिक कुछ मूर्तियों की हूबहू नकल तैयार की गई फिर गिरफ्तार पुलिस वालों की मदद से उन्हें सरकारी सेफहाउस में रखने के नाम पर सुभाष कपूर को दे दिया गया, मंदिरों को जब सेफ हाउस से मूर्तियां वापस की गईं तो वो असली नहीं बल्कि नकली मूर्तियां थीं.  चोरी की असली मूर्तियों को चेन्नई और मुंबई के कुछ ऑर्ट डीलर अपने गोदामों में छिपाते थे. फिर उन्हें हॉन्ग कॉन्ग और यूरोप के रास्ते से होते हुए अमेरिका पहुंचा दिया जाता था. इस बीच उन कलाकृतियों को नए सिरे से सजा संवार लिया जाता था. फिर नकली दस्तावेजों के आधार पर उन्हें नई पहचान दे कर ऑर्ड गैलरी में नीलामी के लिए रखवा दिया जाता था. इस तरह से भारत के मंदिरों की मशहूर मूर्तियां कानून की नाक के नीचे आराम से खरीदी और बेच दी जाती थीं.

यह भी पढ़ें-
Police File: ...यूपी का वह डॉन जिसने अपहरण को बना दिया था उद्योग
DNA एक्सप्लेनर: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर क्या कहता है देश का कानून?

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement