Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Chhath Puja: आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा आस्था का महापर्व छठ, जानें व्रत के नियम-अर्घ्य का समय और कथा

Chhath Puja : छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ आज शुक्रवार 28 अक्टूबर से हो रही है. भगवान सूर्य और छठी माता के व्रत और पूजन का नियम और महत्व क्या है

Latest News
Chhath Puja: आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा आस्था का महापर्व छठ, जानें व्रत के नियम-अर्घ्य का समय और कथा


28 को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा आस्था का महापर्व छठ

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदीः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी आज से हो गई है. चार दिवसीय ये पर्व कल  28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2022 तक चलेगा. 36 घंटे तक चलने वाला ये निर्जला उपवास सबसे  कठीन माना गया है. छठ पूजा में संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए रखा जाता है. ये ऐसा व्रत है जिसे महिला और पुरुष दोनों ही रखते हैं. 

छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय,  दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण यानी समापन होता है. 

Chhath Puja Calendar : 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है छठ पर्व, जानिए नहाय-खाय से लेकर पारण तक की तिथि और शुभ मुहूर्त

छठ पूजा कलेंडर (Chhath Puja calendar)
पहला दिन- नहाय खाय (28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार)
दूसरा दिन- खरना (29 अक्टूबर 2022, शनिवार)
तीसरा दिन- अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य (30 अक्टूबर 2022, रविवार)
आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (31 अक्टूबर 2022, सोमवार)

छठ पूजा के नियम (Chhath Puja Niyam )
छठ पूजा के नियम पूरे चार दिनों तक चलते हैं. जोकि इस प्रकार से है.

नहाय-खाय - 28 अक्टूबर 2022
28 अक्टूबर 2022 को है नहाय-खाय छठ पूजा की शुरुआत होगी. नहाय खाय के दिन महिलाएं नहाने के बाद घर की साफ-सफाई करती हैं. इस दिन हर घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात यानी चावल प्रसाद के रूप में बनता है. इन भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग किया जाता है. 

Chhath Puja 2022: गन्ने के बिना पूरी नहीं होती छठ पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

खरना -29 अक्टूबर 2022
कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन नदी या तालाब में पूजाकर भगवान सूर्य की उपासना करें. संध्या में खरना करें. खरना में खीर और बिना नमक की पूरी आदि को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. खरना के बाद निर्जल व्रत शुरू हो जाता है.

अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य - 30 अक्टूबर 2022
कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भी व्रती उपवास रहती है और शाम नें किसी नदी या तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह अर्घ्य एक बांस के सूप में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल आदि को रखकर दिया जाता है.

अर्घ्य -सूर्यास्‍त का समय: शाम 5 बजकर 37 मिनट.

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य - 31 अक्टूबर 2022
कार्तिक शुक्ल सप्तमी की भोर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन छठ व्रत संपन्न हो जाता है और व्रती व्रत का पारण करती हैं.

अर्घ्य- सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर

छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Significance)
छठ पर्व श्रद्धा और आस्था से जुड़ा होता है. जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है. छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना हेतु किया जाता है. मान्यता है कि आप इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन करेंगे छठी मईया आपसे उतनी ही प्रसन्न होंगी. 

छठ के लिए निकलना है घर तो साथ में जरूर रखें 5 चीजें, नहीं होगी कोई बीमारी-संक्रमण या कोविड का खतरा 

कौन हैं छठी मईया
मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्टि  की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं. वो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है. 

शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है. इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है.पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है. 

छठ व्रत कथा
कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे. उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं. नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ. इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ.

संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया. लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं. देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं. मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं. यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया. 

Chhath Puja 2022: छठ पूजा के लिए दिल्ली में जबरदस्त तैयारी, घाटों का इंतजाम पक्का, कब है त्योहार


राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा की. इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई. तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा.

छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement