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China की अमेरिका को सीधी चुनौती, 'कोई ताकत ताइवान और चीन को अलग नहीं कर सकती'

China-Taiwan Clash: ताइवान को लेकर चीनी रक्षा मंत्री ने दो टूक अंदाज में कहा है कि कोई भी ताकत चीन और ताइवान को एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकती है.

China की अमेरिका को सीधी चुनौती, 'कोई ताकत ताइवान और चीन को अलग नहीं कर सकती'

चीनी रक्षा मंत्री ने अमेरिका को दी चेतावनी

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डीएनए हिंदी: चीन एक बार फिर ताइवान को लेकर बेहद आक्रामक मूड में है. चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग ने ताइवान को लेकर अमेरिका को सीधी चेतावनी दे डाली है. उन्होंने कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता का मतलब ही युद्ध है. पिछले कुछ वक्त से ताइवान को लेकर चीन ने हमलावर रूख अपनाया हुआ है. अमेरिकी की नसीहतों और हिदायतों से बेखबर ताइवान पर चीन अपना सीधा हक जता रहा है. 

China Defence Minister के तीखे बोल 
अमेरिका की चेतावनियों के उलट चीन के रक्षा मंत्री ने भी बेहद सख्त अंदाज में अपने मंसूबे जाहिर किए हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी देश या व्यक्ति ने ताइवान को चीन से अलग करने की कोशिश की तो हम युद्ध से नहीं हिचकेंगे. किसी भी कीमत पर लड़ेंगे. 

उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन को भी खूब सुनाया है. चीनी रक्षा मंत्री ने अमेरिकी समकक्ष पर एशियाई देशों को चीन के खिलाफ भड़काने का आरोप भी लगाया है. जनरल वेई फेंग ने आरोप लगाया कि अमेरिका बहुपक्षवाद की आड़ में अपने हितों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. 

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ताइवान पर चीन की साम्राज्यवादी नजर
चीन में 1949 में हुये गृहयुद्ध के बाद ताइवान अलग हो गया था लेकिन चीन हमेशा से दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है. चीन ने ताइवान को स्वतंत्र देश के तौर पर कभी मान्यता नहीं दी है और पश्चिमी देशों की ओर से जब भी यह मुद्दा उठाया जाता है बीजिंग का रूख हमेशा बहुत आक्रामक रहा है. 

ताइवान भौगोलिक दृष्टि से चीन की साम्राज्यवादी मंसूबों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए बीजिंग लगातार भारी सैन्य विस्तार कर रहा है. हाल ही में चीन ने सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, इससे कई देशों को इस बात का डर है कि प्रशांत क्षेत्र में चीन अपने नौसैनिक अड्डे बना सकता है.

 

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ताइवान को लेकर अमेरिका की नीति स्पष्ट नहीं 
जहां तक ताइवान को लेकर अमेरिका की नीतियों की बात की जाए तो वह भी स्पष्ट नहीं है. अमेरिका ‘एक चीन नीति’ का पालन करता है जो चीन को मान्यता देता है लेकिन वह ताइवान के साथ अनौचारिक संबंध और रक्षा समझौते की भी अनुमति देता है. 

अमेरिका ही ताइवान को हथियार उपलब्ध करवाता है और इस संबंध में उसका दृष्टिकोण अस्पष्ट है कि वह चीनी आक्रमण की स्थिति में ताइवान की रक्षा के लिए क्या करेगा. इसके साथ ही, यह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन भी नहीं करता है.

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