Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

क्यों BJP ने CM योगी को गोरखपुर और मौर्य को सिराथू से चुनाव लड़ाने का लिया फैसला?

BJP आलाकमान आगामी विधान सभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रत्याशियों के उनके कद के मुताबिक ही सीटों का बंटवारा कर रहा है.  

क्यों BJP ने CM योगी को गोरखपुर और मौर्य को सिराथू से चुनाव लड़ाने का लिया फैसला?

CM yogi gorakhpur keshav maurya sirathu candidates bjp focused many targets with one stone

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश में चुनाव (UP Assembly Election 2022) से ठीक पहले ओबीसी वर्ग के कई बड़े नेताओं ने बीजेपी (BJP) से किनारा कर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की साइकिल थाम ली है. इसके बावजूद बीजेपी जीत सुनिश्चित करने के लिए अलग फॉर्मूले पर काम रही है. सीटों के बंटवारे एक-एक सीट का खासा ध्यान रखा जा रहा है. प्रत्याशियों के कद और उनके प्रभाव की पूरी नाप-तौल रख रहा है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को गोरखपुर शहर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को कौशांबी के सिराथू से उतारने का फैसला लिया है. इसके पीछे भी बीजेपी की खास रणनीति है.  

योगी को गोरखपुर से उतराने की वजह
सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से उतारने के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है. यह सभी जानते हैं कि योगी और गोरखपुर एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं. गोरक्षपीठ के महंत और सीएम योगी आदित्यनाथ एक लंबे वक्त तक पूर्वांचल के तमाम इलाकों की राजनीतिक दशा-दिशा तय करते आए हैं. जातिगत आधार पर भी यह एक बड़ा सधा कदम है. योगी को गोरखपुर से लड़ाना वास्तव में स्वामी प्रसाद मौर्य सरीखे पूर्वांचल के कुछ नेताओं के बीजेपी छोड़ने का नुकसान की भरपाई भी करेगा. बीजेपी पूर्वी उत्तर प्रदेश की उन 62 सीटों पर अपना प्रभाव बरकरार रखना चाहती है, जिसकी दो तिहाई सीटें 2017 विधानसभा चुनाव में उसने जीती थी. पार्टी ने इसके लिए प्रचार का रूपरेखा भी ऐसी तैयार की है कि पूर्वांचल में योगी को ही सबसे बडे़ चेहरे से रूप में पेश किया जा सके. 

यह भी पढ़ेंः  UP Election 2022: पूर्वांचल के लिए BJP का प्लान, मोदी-योगी की जोड़ी को वोटों में बनाना है 'उपयोगी'

इन सीटों पर सीएम योगी का सीधा प्रभाव
बीजेपी ने सीएम योगी को गोरखपुर में पूरी रणनीति के साथ उतारा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि राजनीतिक रूप से गोरखपुर, आजमगढ़ और बस्ती मंडल की भी सीटों पर भी सीएम योगी असर डालेंगे. गोरखपुर से सटे बस्ती, आजमगढ़ और देवीपाटन मंडलों में योगी की गोरक्षपीठ राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय है. बीते चुनाव में भी योगी ने अपने आस-पास के 7 जिलों की 60 से अधिक सीटों पर प्रचार किया था. इसी का नतीजा था कि 2017 विधानसभा चुनाव में 62 सीटों में 44 सीट बीजेपी के खाते में आई थीं. यहां यह भी ध्यान देना होगा कि पिछली बार योगी सिर्फ सांसद थे. इस बार मुख्यमंत्री के रूप में उनके प्रचार से सीटों में फर्क आना तय है.  

10 जिलों की 62 सीटों में 44 सीटें बीजेपी ने जीती थीं 
अगर बात पिछले चुनाव की करें तो बीजेपी ने इस इलाके में बेहतर प्रदर्शन किया था. गोरक्ष क्षेत्र (गोरखपुर) के 10 जिलों में कुल 62 सीट हैं. इनमें 44 सीटों पर पार्टी ने 2017 में जीत हासिल की थी. गोरखपुर से 70 किलोमीटर दूर बस्ती मंडल में भी योगी आदित्यनाथ का गहरा प्रभाव है. इसी की बदौलत वहां के 3 जिलों की 13 सीटों पर 2017 में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की. इतना ही नहीं बस्ती मंडल के किसी भी जिले में विपक्ष का खाता तक नहीं खुल पाया था. राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि योगी की गोरक्षपीठ और खुद योगी आदित्यनाथ का प्रभाव पूर्वांचल के उन इलाकों में है, जो यूपी की सत्ता में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं. योगी के प्रभाव क्षेत्रों में कुशीनगर, देवरिया, संत कबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, बस्ती, कुशीनगर, आजमगढ़ और मऊ जैसे महत्वपूर्ण इलाके हैं. कुछ स्थानों पर योगी की हिंदू युवा वाहिनी का प्रभाव भी बहुत अधिक है. बीजेपी ने योगी के इसी प्रभाव को देखते हुए उन्हें गोरखपुर भेजने का फैसला लिया है. 

यह भी पढ़ेंः  Zee Opinion Poll: उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर, हरीश रावत ने क्या कहा? 

केशव मौर्य सिराथू से पूरे प्रयागराज को साधेंगे 
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सिराधू से लड़ाने का फैसला काफी सोचा समझा है. 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रयागराज, प्रतापगढ़ और कौशांबी की 22 सीटों में से एकमात्र सिराथू ही वह सीट थी जहां से बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. इससे पहले लगातार दो चुनावों में बीजेपी को यहां हार का सामना करना पड़ा था. यही नहीं 2004 में अतीक अहमद के फूलपुर से सांसद बनने के बाद इलाहाबाद शहर पश्चिम सीट पर हुए उपचुनाव और इसी सीट पर 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में वह पराजित हो गए थे. 2012 के विधानसभा चुनाव के दो साल बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने केशव मौर्य को फूलपुर से प्रत्याशी बनाया, जिसमें उन्होंने रिकॉर्ड तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल कर फूलपुर सीट पर भी पहली बार भाजपा का कमल खिलाया था. सितंबर 2017 में उन्होंने फूलपुर सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था. अब बीजेपी ने रिसाधू के केशव मौर्य को मैदान में उतार पूरे प्रयागराज क्षेत्र में प्रभाव बनाने की रणनीति बनाई है. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement