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Heatwave in India: क्या होगा अगर तापमान हो जाए 50 डिग्री, जिंदा बच पाएगा इंसान ?

हीट स्ट्रेस के लक्षणों के बारे में नेफ्रॉन क्लीनिक के डॉ. संजीव बागई बताते हैं कि पारा अगर 40 डिग्री के पार हो जाए तो शरीर के लिए मुश्किल हो सकती है.

Heatwave in India: क्या होगा अगर तापमान हो जाए 50 डिग्री, जिंदा बच पाएगा इंसान ?
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डीएनए हिंदी: पूरे देशभर में गर्मी का टॉर्चर जारी है. जनता गर्मी से बेहाल है. इसी चिलचिलाती गर्मी और हीट वेव के चलते लोग अपनी जान भी गंवा रहे हैं. तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. मौसम ऐसा ही बना रहा तो पारा 50 के पार भी हो सकता है. अब सोचिए कि पांच डिग्री और बढ़ जाने पर क्या हालत होगी. इस बढ़े हुए तापमान का हमारे शरीर पर क्या असर होगा? हमारा शरीर कितनी गर्मी झेल सकता है? 

क्या होता है हीट स्ट्रेस ? क्यों थका देती है गर्मी ?

रिसर्चर्स और डॉक्टर्स शरीर पर गर्मी के असर के लिए हीट स्ट्रेस शब्द का इस्तेमाल करते हैं. इसके बारे में समझाते हुए आईआईटी दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डे कहते हैं, 'जब हमारा शरीर बेहद गर्मी में होता है तो वो अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है. वातावरण और शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है कि शरीर अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश किस कदर कर पाता है. इस वजह से हमें थकान महसूस होती है'.

Heat wave

हीट स्ट्रेस के लक्षणों के बारे में नेफ्रॉन क्लीनिक के डॉ. संजीव बागई बताते हैं कि पारा अगर 40 डिग्री के पार हो जाए तो शरीर के लिए मुश्किल हो सकती है. हालांकि अलग-अलग हालात में अलग असर होता है. सामान्य रूप से दिखने वाले लक्षण बताते हुए डॉ. बागई कहते हैं-

1- पारा 40 से 42 डिग्री तक हो तो सिरदर्द, उल्टी और शरीर में पानी की कमी जैसी शिकायतें होती हैं. 

2- पारा 45 डिग्री हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी परेशानियां होती हैं. इनके चलते ब्लड प्रेशर का कम होना आम बात है.

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क्या होगा अगर 50 डिग्री पहुंच जाए पारा ?

डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर आप 48 से 50 डिग्री के बीच तापमान में रहते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह से काम करना बंद कर सकती हैं यहां तक कि किसी की जान भी जा सकती है. झांसी के पास केरल एक्सप्रेस के यात्रियों के साथ यही हुआ. इस कदर भीषण गर्मी बच्चे, बूढ़ों, गर्भवति महिलाओं और बीमार लोगों के लिए मौत की वजह बन सकती है.

शरीर और गर्मी का कनेक्शन

मानव शरीर का सामान्य तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट या 37.5 से 38.3 डिग्री सेल्सियस होता है. इसका मतलब यह नहीं है कि 38 या 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर आपको गर्मी नहीं लगनी चाहिए. असल में यह शरीर का कोर तापमान होता है. यानी त्वचा के स्तर पर इससे कम तापमान भी महसूस हो सकता है. बाहरी तापमान के बढ़ते ही आपको गर्मी क्यों लगती है? आपने महसूस किया होगा कि 32 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान होने पर भी आप हल्की गर्मी महसूस करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों? जबकि आपके शरीर का तापमान ही इससे ज़्यादा होता है!

यहां है जवाब

ऐसा दरअसल इसलिए होता है क्योंकि हवा गर्मी की कंडक्टर नहीं है. आसान भाषा में ऐसे समझिए कि तापमान की तुलना आप अपने शरीर के संपर्क में आने वाले वातावरण के साथ करते हैं. आपका शरीर जब हवा के संपर्क में आता है तो हवा का तापमान आपके शरीर में ट्रांसफर होता है लेकिन आपके शरीर का तापमान हवा में उतना ट्रांसफर नहीं होता क्योंकि हवा गर्मी की अच्छी कंडक्टर नहीं है लेकिन पानी है. जब आप पानी के संपर्क में आते हैं तो आपके शरीर का तापमान पानी में ट्रांसफर होता है. यही वजह है कि 45 या 50 डिग्री सेल्सियस के ताप वाला पानी आपको उतना गर्म नहीं महसूस होता जितनी इसी ताप वाली हवा.

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ज्यादा तापमान पर कैसे रिएक्ट करता है शरीर?

क्लिनिकल रिसर्च के मुताबिक तापमान बढ़ने पर शरीर एक खास पैटर्न में रिएक्ट करता है. शरीर का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पानी है. यानी हमारे शरीर का पानी बढ़ते तापमान में शरीर का तापमान स्थिर बनाए रखने के लिए गर्मी के साथ जूझता है. इसी वजह से पसीना आता है लेकिन ज़्यादा देर अगर शरीर इस प्रक्रिया में रहता है तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है.

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