Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Dussehra: हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए सीता-राम के ये गुण अपनाएं, नहीं होगा मनमुटाव

Ram-Sita love tips: वैवाहिक जीवन सुखमय बनाने के लिए भगवान राम और देवी सीता के आपसी सामंजस्य वाले गुण अपनाने होंगे.

Latest News
Dussehra: हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए सीता-राम के ये गुण अपनाएं, नहीं होगा मनमुटाव

हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए सीता-राम के ये गुण अपनाएं, नहीं होगा मनमुटाव

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदीः विजयादशमी पर आज आपको भगवान राम और देवी सीता के उन गुणों के बारे में बताएंगे जो उनके बीच प्यार को दर्शाता है. सीता राम के रिश्ते से जुड़ी कुछ बातें अगर आम जीवन मेें पति-पत्नी अपना लें तो उनका जीवन बहुत सुखदायी हो सकता है. 

भगवान राम और माता सीता वैवाहिक जीवन के आर्दश माने जाते हैं भले ही उन्हें अपने जीवन में कष्ट उठाने पड़े लेकिन उनका वैवाहिक संबंध बहुत सुखमय था. दोनों हर परिस्थिति में एक दूसरे के साथ थे. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन से सीख ली जा सकती है. आइए जानते हैं उन बातों के बारे में जो हर पति-पत्नी को सीमा राम से सीखनी चाहिए.

यह भी पढ़ें: Sex fact: पुरुषों के लिए सेक्स का क्या मतलब है, भावनात्मक या शारीरिक जरूरत?    

त्याग की भावना
माता सीता ने महलों का त्याग कर भगवान राम के साथ वन में रहने का निर्णय किया था. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए त्याग भी करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. वैवाहिक जीवन मजबूत बनाना है तो एक-दूसरे के लिए त्याग करना सीखें.

मुश्किल समय में साथ 
माता सीता एक राजकुमारी थीं. बावजूद इसके पति श्रीराम के वनवास जाने के फैसले पर उन्होंने उनका साथ दिया और खुद भी 14 साल तक पति श्री राम के साथ जंगलों में रहने को तैयार हो गईं. उन्होंने बुरी से बुरी परिस्थिति में भी एक दूसरे पर अपना विश्वास बनाए रखा.

निस्वार्थ प्रेम
भगवान राम और माता सीता के बीच निस्वार्थ प्रेम था. वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का स्वार्थ रिश्ते को खराब करता है. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से प्रेम करना बहुत जरूरी है. असली प्रेम वही है जो निस्वार्थ भाव से किया जाए.

यह भी पढ़ें: डेटिंग के इन रेड फ्लैग्स को जान लें, नहीं होगा कभी रिलेशनशिप कांप्लीकेटेड

ईमानदारी 
रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है. माता सीता और भगवान राम के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि एक-दूसरे के प्रति ईमानदार कैसे रहा जाए. अगर आप रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहें.

बच्चों पर न पड़ने दें बुरा असर
माता सीता जब लव और कुश के साथ भगवान श्री राम से अलग होकर रहने लगीं तो उन्होंने कभी भी भगवान राम के लिए अपने मन में कोई बुरा विचार तक नहीं आने दिया. उन्होंने अपने पति राम की हमेशा दूसरे लोगों से प्रशंसा ही की. यही वजह है कि लव और कुश ने भी अपने पिता को हमेशा सम्मान की दृष्टि से ही देखा. इसलिए वैवाहिक जीवन में अलगाव आए भी तो इसका प्रभाव बच्चों पर न पड़ने दें.

सम्मान
माता सीता के हरण के बाद श्रीराम उन्हें बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए लंकापति रावण से युद्ध करने तक के लिए तैयार हो गए. हर पति को अपनी पत्नी के सुरक्षा और सम्मान का ध्यान रखना चाहिए. 

यह भी पढ़ें: सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक है अकेलापन, समय से पहले हो सकते हैं बूढ़े 
 

पतिव्रता
रावण द्वारा हरण के बाद भी माता सीता ने अपनी पवित्रता बनाए रखी. उन्होंने अपना पतिव्रता धर्म निभाया और अपनी इज्जत पर आंच नहीं आने दी. वह अंत तक रावण के सामने नहीं झुकीं. वहीं भगवान राम ने भी एक राजा होते हुए कभी भी दूसरे विवाह के बारे में नहीं सोचा. एक दूसरे से दूर रहने के बावजूद दोनों के बीच एक दूसरे के लिए प्रेम और वैवाहिक धर्म जस का तस बना रहा.

गुण देखें 
माता सीता के स्वयंवर में बड़े-बड़े राजा, महाराजा शामिल हुए लेकिन सीता माता का विवाह श्री राम से हुआ, जो अपने गुरु के साथ वहां पहुंचे थे. श्री राम उस समय तक अयोध्या के राजा भी नहीं बने थे. इतना ही नहीं राम को वनवास होने पर माता सीता ने भी महल की सारी सुख सुविधाएं ठुकराकर अपने पति श्रीराम के साथ वनवास जाकर उनकी सेवा करना ही उचित समझा. उन्होंने बुरे समय में भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement