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UP Election 2022: दलबदलुओं को क्यों भाव नहीं दे रही BJP, जानिए क्या है पार्टी की आंतरिक चुनावी प्लानिंग

दलबदलुओं से पड़ने वाले फर्क के दावों से अलग भाजपा आश्वस्त है कि उसे UP Election 2022 में 300 से ज्यादा सीटें मिलेंगी.

UP Election 2022: दलबदलुओं को क्यों भाव नहीं दे रही BJP, जानिए क्या है पार्टी की आंतरिक चुनावी प्लानिंग
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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में UP Election 2022 के कारण इस समय सबसे अधिक सरगर्मी है. वहीं पिछले दो हफ्तों में भाजपा (BJP) के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थाम लिया है. ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इसे भाजपा की हार से जोड़कर पेश कर रहे हैं लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए BJP 300 सीटों से अधिक की जीत पर आश्वस्त हैं. पार्टी अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर दावे कर रही है. 

दलबदलुओं की नहीं है चिंता 

लगातार पार्टी छोड़ रहे नेताओं को लेकर खबरें हैं कि भाजपा इस दल-बदल से ज्यादा चिंतित नहीं है. ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्यादातर नेता ओबीसी समुदाय के हैं. इनसे बिगड़ने वाले जातीय संतुलन को लेकर भाजपाई सूत्रों का कहना है कि पार्टी के पास अनेकों बड़े ओबीसी नेता हैं जो कि पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर हैं इसलिए पार्टी का ओबीसी वोट नहीं खिसकेगा. 

300 सीटों पर जीत का दावा 

खास बात यह है कि आए दिन हो रहे ओपिनियन पोल्स में जीत तो भाजपा की दर्शायी जा रही है लेकिन पार्टी की सीटें घटने का स्पष्ट अनुमान लगाया गया है. वहीं इस मुद्दे पर भाजपाई सूत्रों का कहना है कि पार्टी के आंतरिक सर्वे के लिहाज से वो फिर 300 सीटें जीत सकती है और इसीलिए पार्टी दलबदलुओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है.

टिकट बंटवारे में सावधानी

बीजेपी को लेकर खबरें है कि UP Election 2022 में वो टिकटों के वितरण पर विशेष ध्यान दे रही है. दलबदलुओं को लेकर पार्टी का कहना है कि दलबदलुओं को टिकट नहीं मिलने वाला था इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी. वहीं ध्यान देने वाली बात यह है कि भाजपा UP Election 2022 में अपने किसी भी सांसद को उम्मीदवार नहीं बना रही है और परिवार के सदस्य जो परिवार में एक से अधिक सदस्यों के लिए टिकट मांग रहे थे, उन्हें भी टिकट मिलने की संभावना नहीं है.

खबरों के मुताबिक कई सांसद बच्चों के लिए टिकट चाहते हैं लेकिन टिकटों का वितरण विशुद्ध रूप से योग्यता के आधार पर किया जा रहा है. वहीं सबसे बड़ा फैक्टर जीतने का होगा. जो नेता जीत सकेंगे उन्हें ही टिकट दिया जाएगा. इसके अलावा पार्टी अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर भी टिकटों का वितरण कर रही है. 

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भले ही दलबदलुओं के कारण पार्टी की छवि खराब हो रही हो या कुछ बड़े मुद्दे पार्टी को नुक़सान पहुंचा रहे हों लेकिन भाजपा अभी भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. हालांकि आखिरी फैसला सर्वे नहीं जनता दरबार में होगा.

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