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Heat Island: क्या होते हैं अर्बन हीट आईलैंड, क्या है इनका बढ़ती गर्मी से कनेक्शन?

कांक्रीट की बिल्डिंग, एयर कंडीशनर से निकलने वाली गर्मी, वाहनों की गर्मी और आबादी का ज्यादा घनत्व. ये सब मिलाकर हीट आइलैंड बनाते हैं.

Heat Island: क्या होते हैं अर्बन हीट आईलैंड, क्या है इनका बढ़ती गर्मी से कनेक्शन?
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डीएनए हिंदी: रविवार को ज्यादातर लोग छुट्टी मना रहे थे लेकिन गर्मी का मौसम फुल-टाइम काम पर था. दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में गर्मी का कहर जारी है. एक ही दिल्ली में तापमान का फर्क एक से दूसरी जगह पर तकरीबन 5 डिग्री सेल्सियस का है. यानी कहीं भीषण गर्मी पड़ रही है तो कहीं थोड़ी राहत भी है. 50 किलोमीटर के फासले में जहां 5 डिग्री का फर्क देखने को मिल रहा है, वहीं 20 किलोमीटर के अंदर ये 2 से 3 डिग्री का हो जाता है. इसी को अर्बन हीट आइलैंड (Urban heat island) कहा जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि हीट आइलैंड्स क्या होते हैं और क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है कि जिससे आप जहां रहते हैं वहां का तापमान कम किया जा सके?  

क्या होते हैं हीट आइलैंड्स?
बात अगर दिल्ली की करें तो बीते रविवार राजधानी की एक से दूसरी जगह के बीच तापमान में अच्छा-खासा फर्क देखा गया.  रविवार को दिल्ली के मुंगेशपुर का तापमान 49.2 डिग्री दर्ज किया गया. नजफगढ़ में यह 49.1 डिग्री रहा तो मयूर विहार में घटकर 45.4 डिग्री हो गया.  कहीं तापमान ज्यादा तो कहीं बहुत कम, इसी को अर्बन हीट आइलैंड कहते हैं. 

कांक्रीट की बिल्डिंग, एयर कंडीशनर से निकलने वाली गर्मी, वाहनों की गर्मी और आबादी का ज्यादा घनत्व. ये सब मिलाकर हीट आइलैंड बनाते हैं. मसलन अगर आपके इलाके के पास कोई झील हो तो वहां का तापमान बाकी जगहों के मुकाबले 2 से 4 डिग्री तक कम रहेगा.   

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दिल्ली सरकार (Government of Delhi) के राजस्व विभाग के दस्तावेजों के अनुसार, राजधानी में कुल 1012 तालाब हैं लेकिन उच्च न्यायालय में दिए हलफनामे में राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि राजधानी में अब केवल 629 तालाब ही सही सलामत बचे हैं. वक्त की मार, अतिक्रमण और कचरे के ढेर के नीचे दबकर कई तालाबों ने अपना अस्तित्व ही खो दिया. अगर ये तालाब जिंदा होते तो दिल्ली वालों को गर्मी के कहर से बचाने के काम आ सकते थे. 

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इमारतों के निर्माण में ईंटों की जगह स्टील और कांच का इस्तेमाल बढ़ गया है. छतों की ऊंचाई जो कभी 15 से 20 मीटर होती थी आज घटकर 10 से 12 मीटर रह गई है. पेड़ जितने उगाए नहीं जाते उससे ज्यादा नए निर्माण की बलि चढ़ जाते हैं. हालांकि इनके हल भी बहुत मुश्किल नहीं हैं. हां, थोड़े महंगे जरूर हैं. इससे निजात पाने के लिए सोलर एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकता है, पेड़-पौधे ज्यादा से ज्यागा लगाएं, कम एनर्जी की खपत करने वाले एप्लायंस इस्तेमाल करें, रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा मिले और इन कोशिशों के बदले हाउस टैक्स में राहत, बिजली-पानी के बिलों में कटौती जैसे फायदों के साथ-साथ आज ही नहीं, आने वाले वर्षों में भी गर्मी के असर से निजात मिलेगी.

(रिपोर्ट- पूजा मक्कड़)

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