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India China News: ड्रैगन ने फिर किया 'गंदा काम'! जानबूझकर भारत के खिलाफ की पाकिस्तान की मदद

India China News: चीन ने UNSC में एकबार फिर से भारत के खिलाफ मतदान किया है. भारत और अमेरिका UNSC में पाकिस्तानी आतंकी के खिलाफ प्रस्ताव लाए थे जिसे ड्रैगन ने ब्लॉक कर दिया. अन्य सभी देश इस प्रस्ताव के समर्थन में थे.

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ड्रैगन ने फिर किया 'गंदा काम'

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डीएनए हिंदी: भारत की लगातार बढ़ती ताकत से बौखलाए ड्रैगन ने एकबार फिर से पाकिस्तान की मदद की है. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चीन ने जानबूझकर भारत और अमेरिका द्वारा लाए गए प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और अमेरिका पाकिस्तान स्थित जैश ई-मोहम्मद के टॉप आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाए थे. अमेरिकी ट्रेजरी ने अब्दुल रऊफ अजहर को साल 2010 में पाकिस्तान से होने वाली आंतकी गतिविधियों में शामिल होने और भारत में आत्मघाती हमले आयोजित करने के आरोप में आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया था. चीन ने UNSC में अब्दुल रऊफ अजहर के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को जानबूझकर ब्लॉक कर दिया. UNSC में चीन के अलावा अन्य सभी देशों ने भारत का इस प्रस्ताव पर समर्थन किया था.

भारत ने चीन को लताड़ा
UNSC में ड्रैगन द्वारा की गई इस हरकत पर भारत ने उस लताड़ लगाई है. भारत ने चीन की अध्यक्षता में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन पर ही निशाना साधते हुए कहा कि यह "बेहद खेदजनक" है कि दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों को काली सूची में डालने के वास्तविक व साक्ष्य आधारित प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है. भारत ने कहा कि इस तरह के "दोहरे मानदंड" ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था की विश्ववसनीयता को ‘सर्वकालिक निम्न स्तर' पर पहुंचा दिया है.

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उल्लेखनीय है कि इस साल जून में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को बाधित किया था. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को कहा कि आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के अनुरोध को बिना स्पष्टीकरण दिए लंबित रखने या बाधित करने की प्रवृत्ति खत्म होनी चाहिए.

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रुचिरा कंबोज ने कहा कि प्रतिबंध समितियों के प्रभावी कामकाज के लिए उन्हें अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष बनाने की आवश्यकता है. बिना किसी औचित्य के सूचीबद्ध अनुरोधों पर रोक लगाने और उन्हें बाधित करने की प्रवृत्ति समाप्त होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह 'बेहद खेदजनक' है कि दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों को काली सूची में डालने के वास्तविक व साक्ष्य आधारित प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है. इस तरह के 'दोहरे मानदंड' ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था की विश्ववसनीयता को ‘सर्वकालिक निम्न स्तर' पर पहुंचा दिया है.

इनपुट- PTI

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