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Russia-Ukraine Conflict: रूस नहीं चाहता अपने बगल में पाकिस्तान, समझें आक्रामकता की वजह

अमेरिका की रणनीति हमेशा रही है कि उसने अपने पड़ोस में कोई दुश्मन बनने नहीं दिया है. रूस के लिए यूक्रेन अलग देश बनने के बाद से ही एक चुनौती की तरह है.

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डीएनए हिंदी: रूस के पूर्वी यूक्रेन में सेना भेजने को अमेरिका समेत पश्चिमी देश आक्रमण बताकर निंदा कर रहे हैं. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रूस अमेरिका की रणनीति को फेल करने के लिए इस तरह की आक्रामकता दिखा रहा है. इस वक्त रूस की स्थित ऐसी है जैसी 1950 के दशक में भारत की थी. रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी का कहना है कि यूक्रेन के तौर पर रूस कभी नहीं चाहेगा कि उसके बगल में पाकिस्तान जैसा देश खड़ा हो जाए. 

अमेरिका के मुनरो सिद्धांत पर चल रहा रूस? 
रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी का कहना है कि अमेरिका ने 198 साल पुराने मुनरो सिद्धांत का आज तक पालन किया है. इस सिद्धांत के तहत अमेरिका ने कभी अपने आस-पास शत्रु राष्ट्र को पनपने नहीं दिया है. रूस और यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति भारत-पाकिस्तान जैसी है. ऐसे में रूस कभी नहीं चाहेगा कि उसके बगल में यूक्रेन एक दुश्मन की तरह उभरे और उसके लिए मुश्किल हालात पैदा करे. 

रूस को घेरने के लिए अमेरिका ने यूक्रेन में किया भारी निवेश
अमेरिका और रूस के बीच तनाव दशकों पुराना है. रूस को खिलाफ उसके पड़ोसी देश यूक्रेन को अरबों डॉलर का हथियार दे रहा है. रूस के लिए यूक्रेन यूरोप में प्रवेश का मुहाना है. वैश्विक मंचों पर अमेरिकी वर्चस्व की वजह से रूस यूं भी अलग-थलग है. ऐसे में रूस किसी सूरत में अपने आस-पास शत्रु राष्ट्रों की मौजूदगी नहीं चाहता है. रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी कहते हैं, 'चीन अब वैश्विक ताकत के रूप में अमेरिका की जगह ले रहा है. रूस अपने पड़ोस में अपनी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर फोकस कर रहा है.'

पढ़ें: Russia-Ukraine Conflict : Donetsk और Luhansk इलाके, जिन पर छिड़ा है बवाल

1950 वाली तरकीब अपनाएगा अमेरिका? 
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान 1950 में अमेरिका ने पाकिस्तान का बढ़-चढ़कर साथ दिया था. अमेरिका ने पाकिस्तान को सीटो और सेंटो का पाकिस्‍तान को सीटो और सेंटो (अमेरिकी गठबंधन) का सदस्‍य बनाया था. उस वक्त अमेरिकी हितों के लिए पाकिस्तान जरूरी था लेकिन मौजूदा हालात में पाकिस्तान की जरूरत अब अमेरिका को नहीं है. रूस को घेरने के लिए फिर से अमेरिका ऐसा कुछ कर सकता है. नाटो में यूक्रेन की एंट्री और रूस पर कठोर प्रतिबंधों के लिए अमेरिका लगातार माहौल बना रहा है.

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