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Sushma Swaraj Birthday: संसद से संयुक्त राष्ट्र तक, जब सुषमा स्वराज के भाषणों पर मुग्ध रह गई दुनिया!

सुषमा स्वराज की भाषण शैली में अद्भुत सम्मोहन था. उनके धुर विरोधी भी उनकी ओजस्विता की प्रशंसा करते थे.

Sushma Swaraj Birthday: संसद से संयुक्त राष्ट्र तक, जब सुषमा स्वराज के भाषणों पर मुग्ध रह गई दुनिया!

Sushma Swaraj. (File Photo)

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डीएनए हिंदी: भारतीय राजनीति के इतिहास में जब भी कुशल वक्ताओं की बात होगी सुषमा स्वराज का नाम आदर से लिया जाएगा. आज अगर सुषमा स्वराज होतीं तो उनकी उम्र 70 वर्ष की होती. 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट में जन्मी सुषमा स्वराज जिनती कुशल राजनेता थीं उतनी ही प्रखर वक्ता थीं.

यही वजह है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाली सुषमा स्वराज देखते-देखते भारती जनता पार्टी (BJP) की अग्रिम पंक्ति की नेताओं में शुमार हो गईं. सुषमा स्वराज छात्र राजनीति से ही प्रखर वक्ता रही हैं. भारतीय संस्कृति के प्रति उनका गहरा लगाव, दार्शनिक अंदाज और तथ्यों का संवेदनशील पुट उनकी भाषा को और सुंदर बना देता था.

सुषमा स्वराज ने अंबाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत और पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया था. उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भी अपने पिता हरदेव शर्मा की वजह से हुआ. सुषमा स्वराज ने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ कानून की पढ़ाई भी की. सुषमा स्वराज के भाषणों में अलग तरह की ओजस्विता होती थी. उन्होंने होनहार बिरवान के होत चीकने पात वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया था. हरियाणा सरकार के भाषा विभाग की प्रतियोगिताओं में लगातार 3 बार वह हिंदी की श्रेष्ठ वक्ता चुनी गईं.

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Sushma Swaraj in United Nation.

सुषमा स्वराज के भाषणों पर जब मंत्रमुग्ध रह गई दुनिया!

सुषमा स्वराज के भाषण भावनात्मकता के साथ शुरू होते और तथ्यों की इतना शालीन पुट होता कि धुर विरोधी भी उन्हें खारिज नहीं कर पाते. जितनी कुशलता से वह संसद के सदनों में विपक्ष को घेरती थीं, सरकार का पक्ष रखती थीं वैसी ही शैली उनकी संयुक्त राष्ट्र में भी रहती. सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषणों को कौन भूल सकता है.

पाकिस्तान के मंत्रियों की फौज हो गई थी नि:शब्द

23 सितंबर 2017 को सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के तौर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की 72वीं जनरल अंसेबली में भाषण दिया था. उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की वकालत की थी और पाकिस्तान को जमकर लताड़ा था. उनके भाषणों पर पाकिस्तानी लिब्रल जनता भी फिदा हो गई थी.

'सभापति जी,  भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए भी अपने घरेलू विकास को कभी थमने नहीं दिया. 70 वर्ष के दौरान अनेक दलों की सरकारें आईं लेकिन हर सरकार ने विकास की गति को जारी रखा. सभापति जी, हमने आईआईटी बनाए, हमने आईआईएम बनाए, हमने एम्स जैसे अस्पताल बनाए, हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध संस्थान बनाए. पर पाकिस्तान वालों, आपने क्या बनाया? आपने हिज्बुल मुजाहिदीन, हक्क़ानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद बनाया और लश्कर-ए-तैयबा बनाया. हमने स्कॉलर, सांइटिस्ट और डॉक्टर पैदा किए और आपने जिहादी पैदा किया. 

उन्होंने कहा, 'सभापति जी, आप जानते हैं ना कि डॉक्टर मरते हुए लोगों को बचाते हैं और आतंकवादी, जिन्दा लोगों को मारते हैं. आपके ये आतंकवादी संगठन केवल भारत के लोगों को ही नहीं मार रहे बल्कि दो और पड़ोसी देश अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोग भी उनकी गिरफ्त में हैं. सभापति जी, यूएनजीए इतिहास में यह पहली बार हुआ कि किसी देश को राइट टू रिप्लाई मांग कर एक साथ तीन-तीन देशों को जवाब देना पड़ा हो. क्या यह तथ्य पाकिस्तान की करतूतों को नहीं दर्शाता? जो पैसा आप आतंकवादियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हैं वही पैसा यदि आप अपने मुल्क के विकास के लिए खर्च करें, अपने अवाम की भलाई के लिए खर्च करें तो एक तो दुनिया को राहत मिल जाएगी और दूसरा आपके अपने देश के लोगों का कल्याण भी हो पाएगा.'

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जब उठाई संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग

29 सितंबर 2018 को दिए गए भाषण में सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग उठाई थी. उन्होंने कहा था कि संयुक्‍त राष्‍ट्र को यह मानना होगा कि उसमें बदलाव जरूरी है. सुधार कॉस्‍मेटिक नहीं हो सकते. हम संस्‍थान का सर और दिल बदलना की मांग करते हैं ताकि दोनों आधुनिक वास्‍तविकता के हिसाब से हो. सुधार आज से ही होने चाहिए क्‍योंकि कल काफी देर हो जाएगी. 

Sushma Swaraj.

जब सदन में विपक्ष की बोलती हो गई थी बंद

सुषमा स्वराज का 1996 में देश की संसद में दिया गया भाषण बेहद चर्चित रहा है. कई वीडियो क्लिप आज भी सोशल मीडिया पर नजर आते हैं. 1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिन में गिर गई थी उन्होंने ओजस्वी भाषण दिया था.

'मैं यहां विश्वासमत का विरोध करने के लिए खड़ी हुई हूं. हर वक्ता ने चर्चा की शुरुआत जनादेश की व्याख्या करते हुए की. मैं पूछती हूं कि क्या ये जनादेश कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए था. अध्यक्षजी जनादेश की कोई भी व्याख्या आप स्वीकार करें लेकिन एक दृश्य की आप अनदेखी नहीं कर सकते. एक दल की सरकार और बिखरा हुआ विपक्ष, आज एक बिखरी हुई सरकार है और एकजुट विपक्ष है. यह पहली बार नहीं हआ है जब सही अधिकारी राज्य के अधिकार से वंचित कर दिया गया हो. त्रेता युग में यही घटना भगवान राम के साथ भी घटी थी. राजतिलक करते-करते वनवास दे दिया गया था. द्वापर में यही घटना धर्मराज युधिष्ठिर के साथ घटी थी. अध्यक्ष जी जब एक मंथरा और एक शकुनी राम और युधिष्ठिर जैसे महापुरुषों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं तो हमारे खिलाफ तो कितनी मंथराएं और कितने शकुनी सक्रिय हैं. हम राज्य में कैसे बने रह सकते थे?' 

Sushma Swaraj with Atal Bihari.

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5 दशक का बेमिसाल राजनीतिक जीवन

सुषमा स्वराज का राजनीतिक करियर 5 दशक से लंबा रहा है. वह साल 2014 के लोकसभा चुनावों में विदिशा से सांसद चुनी गईं थीं. उन्होंने विदेश मंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शपथ लिया था. विदेश मंत्री रहने के दौरान उन्होंने हर दिन लोगों की मदद की. विदेश में फंसे हुए लोग उनसे सोशल मीडिया पर गुहार लगाते तो वह तत्काल दखल देकर लोगों की मुश्किलें हल करातीं. सुषमा स्वराज अक्तूबर से दिसंबर 1998 तक दिल्ली की पहिला महिला मुख्यमंत्री भी रही थीं. वह 6 बार लोकसभा, 1 बार राज्यसभा और 3 बार विधायक रही हैं. उनका निधन 6 अगस्त 2019 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ था. देश आज भी उन्हें आदर के साथ याद करता है.

Sushma Swaraj with Sonia Gandhi.

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