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ECIR क्या है? सामान्य FIR से कैसे होती है अलग, यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब 

सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में आरोपी को ECIR की कॉपी देना जरूरी नहीं है. 

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ECIR क्या है? सामान्य FIR से कैसे होती है अलग, यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब 
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डीएनए हिंदीः सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तारी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) इन मामलों में किसी की भी गिरफ्तारी कर सकता है. ईडी को ऐसे केस में आरोपी को ECIR देने की भी जरूरत नहीं है. अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर ये ईसीआईआर क्या होता है और कोर्ट ने इसके लिए मना क्यों किया है. अपनी इस रिपोर्ट में इसे विस्तार से समझते हैं. 

क्या होता है ECIR?
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े किसी भी केस में ईडी Enforcement Case Information Report (ECIR) यानी प्रवर्तन मामलों की सूचना रिपोर्ट कर्ज करती है. इसमें उस मामले से जुड़ी जानकारी होती है. इसमें आरोप और आरोपी के बारे में पूरी जानकारी होती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि है कि मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस यानी PMLA एक्ट में आरोपी के ईसीआईआर देनी जरूरी भी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि ECIR की तुलना एफआईआर से नहीं की जा सकती है. 

ये भी पढ़ेंः PMLA के तहत ED किसी को भी कर सकती है गिरफ्तार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
 
क्या होती है एफआईआर? What is FIR 
एफआईआर (FIR) यानी फर्स्‍ट इन्‍फॉर्मेशन रिपोर्ट होती है. दण्‍ड प्रक्रिया संहिता CRPC 1973 के सेक्‍शन 154 में FIR का जिक्र है. हिंदी में इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट कहते हैं. भारत के किसी भी कोने में हुए संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) को पहले पुलिस में रिपोर्ट करने की व्यवस्था की गई है जिसके बाद ही कोई कार्यवाही होती है. FIR की रिपोर्ट तत्काल मजिस्ट्रेट के पास भेजी जाती है. सीआरपीसी की धारा 157(1) में है कि पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर फर्स्‍ट इन्‍फॉर्मेशन रिपोर्ट संबंधित मजिस्ट्रेट तक जल्द से जल्द भेज दी जानी चाहिए. आपको बता दें कि किसी भी आपराधिक घटना की कानूनी रूप से जांच के लिए FIR दर्ज कराना सबसे पहला कदम होता है. FIR दर्ज होने के बाद ही पुलिस मामले की जांच करती है.

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