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राजीव गांधी की हत्या के 6 दोषियों को किया जाए रिहा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नलिनी और रविचंद्रन दोनों ही 30 साल से ज्यादा का समय जेल में बिता चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दे दिया है.

राजीव गांधी की हत्या के 6 दोषियों को किया जाए रिहा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

राजीव गांधी के हत्या के आरोपियों को किया जाएगा रिहा

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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी नलिनी और पी रविचंद्रन समेत 6 दोषियों की रिहाई का आदेश दिया है. नलिनी और रविचंद्रन दोनों ही 30 साल से ज्यादा का समय जेल में बिता चुके हैं. 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले के एक और दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया था. इसके बाद बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट से रिहाई की मांग की थी.

21 मई 1991 को हुई थी राजीव गांधी की हत्या
31 साल पहले 21 मई 1991 को राजीव गांधी की LTTE के आत्मघाती हमलावर ने तमिलानाडु के श्रीपेरुमबुदुर में एक चुनावी सभा के दौरान हत्या कर दी थी. अगस्त 1944 में राजीव गांधी ने साल 1984 में अपनी मां और उस समय देश की पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारत की कमान संभाली थी. वह महज 40 साल की उम्र में भारत के प्रधानमंत्री बने. वह 2 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.

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CBI  ने की थी मामले की जांच
राजीव गांधी की हत्या का मामला 24 मई 1991 को सीबीआई की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम को सौंप दिया गया था. इस मामले में सीबीआई ने जून 1991 में 19 साल के ए जी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया था. ए जी पेरारिवलन पर लिट्टे के शिवरासन की सहायता करने का आरोप लगाया गया था, वह राजीव गांधी की हत्या का मास्टरमाइंड था. उन्होंने दो नौ वोल्ट की बैटरी खरीदी, जिनका इस्तेमाल राजीव गांधी की हत्या करने वाले बम में किया गया था.

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मामले के अन्य आरोपियों की तरह उस पर भी टाडा के तहत मामला दर्ज किया गया है. अप्रैल 2000 में उस समय के तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य कैबिनेट की सिफारिश के आधार पर नलिनी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. सोनिया गांधी ने इसको लेकर सार्वजनिक अपील की थी.

जनवरी 1998 में नलिनी को सुनाई गई सजा-ए-मौत
साल 1998 के जनवरी महीने में नलिनी और पेरारीवलन समेत 26 आरोपियों को टाडा कोर्ट की सजा से मौत की सजा सुनाई गई थी. 11 मई 199 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 19 आरोपियों को रिहा कर दिया था. इसी दौरान मुरुगन, संथान, पेरारीवलन और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा गया जबकि तीन अन्य, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा दी गई थी.

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अगस्त 2011 में उस समय की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 11 साल बाद संथान, मुरुगन और पेरारीवलन की दया याचिका खारिज कर थी. इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने इसकी फांसी की सजा पर स्टे लगा दिया था. इन्हें 9 सितंबर 2011 को फांसी दी जानी थी. जनवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. अगस्त 2017 में पहली बार पेरारीवलन को पैरोल दी गई थी. इस साल मई में उसे रिहा किया गया था.

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