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करवटें बदलते रहे, खाना भी नहीं खाया... पटियाला जेल में ऐसे कटी Navjot Singh Sidhu की पहली रात

Navjot Singh Sidhu: नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला जेल के वार्ड नंबर 10 में रखा गया है.

करवटें बदलते रहे, खाना भी नहीं खाया... पटियाला जेल में ऐसे कटी Navjot Singh Sidhu की पहली रात

Navjot Singh Sidhu

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डीएनए हिंदीः नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने 1988 के रोड रेड मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद सरेंडर कर दिया. वह पंजाब की पटियाला जेल में एक साल की सश्रम सजा काटेंगे. सिद्धू को पटियाला जेल के वार्ड नंबर 10 में रखा गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्धू की पहली रात करवटें बदलते हुए गुजरी. उन्होंने रात में खाना भी नहीं खाया. सिर्फ अपनी दवाई खाई. जेल अधिकारियों के मुताबिक उनके लिए अलग से खाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. अगर डॉक्टर किसी तरह के खाने की सलाह देंगे तो वह कैंटीन से खरीदकर खा सकते हैं. 

सिद्धू के मिली नई पहचान 
नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला जेल में कैदी नंबर 241383 मिला है. इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला जेल में एक कुर्सी, मेज, दो पगड़ी, एक अलमारी, एक कंबल, एक बेड, तीन अंडरवियर और बनियान, दो टॉवल, एक मच्छरदानी, एक कॉपी पेन, एक शूज की जोड़ी, दो बेडशीट, चार कुर्ते पजामे और दो सिरहाने का कवर मिलेगा. सिद्धू जेल में सश्रम सजा काट रहे हैं. ऐसे में उन्हें पहले तीन महीने तक उनकी ट्रेनिंग चलेगी और काम करने पर कोई पारिश्रमिक नहीं मिलेगा. उसके बाद ही उन्हें स्किल्ड, सेमी स्किल्ड या अनस्किल्ड कैटिगरी में रखा जाएगा और उसी के हिसाब से उनकी रोजाना की मजदूरी तय होगी. कैदियों को 30 से लेकर 90 रुपये रोज मजदूरी मिलती है.

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क्या था मामला 
नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और उनके सहयोगी रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे. उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे. जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और उसमें सवार सिद्धू तथा संधू को इसे हटाने के लिए कहा.

इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई. गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई. निचली अदालत ने सितंबर 1999 में नवजोत सिंह सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया. हालांकि दिसंबर 2006 में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सिद्धू और संधू को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया. उच्च न्यायालय ने दोनों को तीन-तीन साल कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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