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जानें, भारत को 2047 तक 'इस्लामिक राष्ट्र' बनाने का सपना देखने वाले PFI के बारे में सबकुछ

बिहार की राजधानी पटना में छापेमारी के दौरान मिले गोपनीय दस्तावेज से कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई एक बार फिर चर्चा में है. आज यह कट्टरपंथी संगठन केरल से निकल पूरे देश में फैल चुका है. देश विरोधी कई गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लग चुके हैं. आइए विस्तार से जानते हैं इस संगठन के बारे में...

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जानें, भारत को 2047 तक 'इस्लामिक राष्ट्र' बनाने का सपना देखने वाले PFI के बारे में सबकुछ

पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया

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डीएनए हिन्दी: बिहार की राजधानी पटना में छापेमारी के दौरान मिले गोपनीय दस्तावेज से कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई (Popular Front of India) एक बार फिर चर्चा में है. पीएफआई के इस गोपनीय दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश चल रही है. पिछले कुछ सालों से पीएफआई की खूब चर्चा हो रही है. खासकर दक्षिण भारत में. हालांकि, पीएफआई अब देशभर में अपनी ऑर्गनाइजेशन का विस्तार कर रहा है. आइए हम पीएफआई (PFI)से जुड़े हर पहलू पर नजर डालते हैं.

पीएफआई एक कट्टर इस्लामिक संगठन है. इसकी स्थापना 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (National Democratic Front) से निकल कर हुई है.1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहने के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक नाम का यह संगठन बनाया गया था. इस संगठन में मुसलमानों के हितों को सर्वोपरि रखा गया था. 

जानकारी के मुताबिक, 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद केरल में कई कट्टरपंथी संगठनों का जन्म हुआ. उसी दौर में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (National Democratic Front)  की स्थापना हुई थी. 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट का पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया में विलय हो गया था. केरल में पीएफआई की मजबूत स्थिति है. हालांकि, इनका संगठन पूरे देश में फैला हुआ है. एक रिपोर्ट मुताबिक, 23 राज्यों में पीएफआई की पैठ है. केरल और कर्नाटक में इन्होंने राजनीतिक संपर्क भी बना लिए हैं.

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मुसलमानों के हित में काम करने का पीएफआई दावा करता है. उसका कहना है कि वह मुसलमनों को उसका हक दिलाने और उसकी आवाज को बुलंद करने का काम करता है. लेकिन, असल में उसका काम इसके उलट है. पीएफआई पर राष्ट्र विरोधी साजिशों में शामिल होने के कई आरोप लग चुके हैं.

आधिकारिक रूप से यह संस्था 17 फरवरी 2007 को वजूद में आई था. बेंगलुरु में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में इस संस्था का जन्म हुआ था. अगर हम सूत्रों की मानें तो पीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल रहमान पहले सिमी के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं. पीएफआई के राज्य सचिव (संगठन) अब्दुल हमीद इसके पहले 2001 में सिमी में इसी पद पर थे. बताया जाता है कि 2006 में सिमी को बैन कर दिए जाने के बाद इसके सदस्य पीएफआई में आ गए.

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पीएएफआई पर लगने वाले गंभीर आरोप
मार्च 2020 में पीएफआई दिल्ली के प्रमुख परवेज अहमद और सचिव मोहम्मद इलियास को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था. इनके खिलाफ दिल्ली दंगों में शामिल होने के सबूत मिले थे. इन्होंने दंगा फैलाने के लिए आर्थिक मदद भी की थी.

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इसके अलावा 9 मार्च 2020 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सीएए के विरोध में झूठे प्रचार करने और हिंसा भड़काने की भूमिका के लिए पीएफआई से जुड़े दानिश को अरेस्ट किया था. दानिश की गिरफ्तारी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके से हुई थी. पुलिस की जांच में पता चला था कि दंगों में पीएफआई का हाथ था. पीएफआई ने पैसे और हथियार भी मुहैया कराए थे.

Popular Front of India
 
जनवरी 2021 में पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के दौरान ईडी को कई चौंकाने वाले सबूत मिले थे. जांच में पता चला कि इस संगठन ने आतंकी प्रशिक्षण के लिए पैसा इकट्ठा किया था. पीएफआई ने सीएए के विरोध में प्रदर्शन के लिए 120 करोड़ जुटाए थे. ईडी का कहना था कि इस काम के लिए पीएफआई द्वारा 27 बैंक अकाउंट खोले गए थे.

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कर्नाटक के हिजाब विवाद के दौरान पीएफआई की खूब चर्चा हुई. पीएफआई के साथ कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (Campus Front of India) नामक संस्था भी चर्चा में आई थी. वास्तव में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई का ही स्टूडेंट विंग है. पीएफआई एक विवादित संगठन है. कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारें पहले ही  पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर चुकी हैं. 

पीएफआई पर कई संवेदनशील आरोप भी लग चुके हैं. एनआईए, आईएसआईएस और सिमी के साथ पीएफआई के संपर्कों की जांच भी कर चुका है. एनआईए को कुछ चौंकाने वाली जानकारियां भी मिली थीं. कहा जाता है कि पीएफआई की केरल इकाई खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए भी काम करती है. केरल के कुछ कार्यकर्ता आईएसआईएस  के लिए सीरिया और इराक में जंग लड़ने के लिए भी गए थे. 

खुफिया एजेंसियों की छापेमारी में इसके सबूत मिले थे कि पीएफआई ने ही ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए धमाकों के मास्टरमाइंड का ब्रेन वॉश किया था. श्रीलंका में हुए इस धमाके में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.

यही नहीं इस संगठन की क्रूरता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि 2010 में केरल में एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ का दाहिना हाथ इस वजह से काट डाला था क्योंकि उस प्रोफेसर ने पैगंबर मोहम्मद पर कुछ सवाल उठाए थे. 

2012 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट में एक एफडेविट दाखिल किया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि सीपीएम और आरएसएस से जुड़े 27 लोगों की हत्या के पीछे पीएफआई का हाथ है. एफिडेविट में इस बात का जिक्र था कि ज्यादातर हत्याएं सांप्रदायिक रंग देकर की गई थीं. कन्नूर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यकर्ता सचिन गोपाल की हत्या के बाद यह एफिडेविट दायर किया गया था. 

यही नहीं 2016 में कर्नाटक के एक आरएसएस लीडर रुद्रेश की दो बाइक सवार लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस ने इस मामले में 4 लोगों को अरेस्ट किया था. ये चारों पीएफआई से जुड़े थे.

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