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Dussehra 2022 Date: दशमी का दिन साल की तीन शुभ तिथियों में से है एक, जानें क्या है दशहरे में खास

Dussehra का शुभ मुहूर्त क्या है, कैसे करें पूजा, क्यों इस दिन को कहते हैं सबसे शुभ, साल की तीन तिथियों में से से एक शुभ तिथि है यह

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Dussehra 2022 Date: दशमी का दिन साल की तीन शुभ तिथियों में से है एक, जानें क्या है दशहरे में खास
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डीएनए हिंदी : Dussehra 2022 Shubh Tithi- नवरात्रि (Navratri 2022) का आखिरी दिन दशहरा (Dussehra 2022) जिसे बंगाल में विजयादशमी भी कहते हैं. दशहरे के दिन रावण का वध होता है. 10 सिर वाले रावण को जलाया जाता है, हिंदू धर्म में इसकी मान्यता है कि असत्य पर सत्य की विजय होती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन कोई भी काम शुरू करने से उसमें सफलता जरूर मिलती है. पूरे साल में तीन ऐसी तिथियां होती हैं जो बहुत ही शुभ होती हैं, जिसमें से दशहरा एक शुभ तिथि है. 

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 26 सितंबर को नवरात्रि शुरू हो रही है और 5 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा, आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से शुरु होगी और 5 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त हो जाएगी.

विजय मुहूर्त – 5 अक्टूबर 2022,दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक

पूजा का समय – 5 अक्टूबर 2022,दोपहर 01 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 48 मिनट तक

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तीन शुभ तिथियों में से एक है दशहरा

मान्यता के अनुसार आश्विन मास की दशमी तिथि यानी दशहरे के दिन को साल की तीन बहुत ही शुभ तिथियों में से एक विशेष तिथि माना जाता है. दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान है, इसके साथ ही इस दिन नए कार्यों की शुरूआत होती है क्योंकि माना जाता है जो कार्य इस दिन से शुरु होते हैं उनमें व्यक्ति को सफलता जरूर मिलती है. दशहरे के दिन वाहन आदि भी खरीदना शुभ माना जाता है

इस दिन भगवान राम और मां दुर्गा को विजयी हासिल हुई थी. इसलिए यह दिन शक्ति व शस्त्र पूजा की तिथि मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन किसी भी कार्य को साधना का सबसे उच्चे दिन होता है. इसके साथ ही भारतीय संस्कृति भी वीरता की पूजक और शौर्य की उपासक है. वहीं बताया गया है की दशहरे का पर्व व्यक्ति के दस प्रकार के पापों के परित्याग की प्रेरणा देता है. जिनमें काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी आदि शामिल हैं,  इसलिए दशहरे को इतना महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है दशहरा

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विजयादशमी की पूजा विधि (Vijayadashami Puja Vidhi)

दशहरा के दिन सूर्योदय से पूर्व स्‍नान के बाद भगवान श्री राम,माता सीता और हनुमान जी की पूजा करें, विजयादशमी पर गाय के गोबर से 10 गोले बनाकर उसमें ऊपर से जौ के बीज लगाए. ये गोले अंहकार,लालच,क्रोध और मन्युष्य के पांचों विकारों के प्रतीक हैं, भगवान राम की पूजा करके इन गोलों को जला दिया जाता है, इसका मतलब आपके विकार भी नष्ट हो जाते हैं. 

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