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Russia Ukraine War: अंतरिक्ष तक पहुंची जंग, ISS को लेकर रूस-अमेरिका आमने-सामने

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रूस के सहयोग को खत्म करने की तैयारी कर रही है.

Russia Ukraine War: अंतरिक्ष तक पहुंची जंग, ISS को लेकर रूस-अमेरिका आमने-सामने

Russia Ukraine War reached in space nasa run international space station without help russia

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डीएनए हिंदीः रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच शुरू हुई जंग अब अंतरिक्ष तक पहुंच गई है. हाल ही में रूस की अंतरिक्ष एजेंसी (Russian Space Agency) के प्रमुख ने अमेरिका को धमकी दी है कि मॉस्को पर लगाए गए कई प्रतिबंध इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर ‘हमारे सहयोग को नष्ट’ कर सकते हैं. रूस ने यह भी कहा कि आईएसएस (ISS) को गिराने के विकल्प है जिसका खामियाजा भारत और चीन तक को भुगतना पड़ सकता है. अब खबर है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इस स्पेस स्टेशन में रूस के सहयोग को खत्म करने की तैयारी कर रही है. अमेरिका ने जापान की मदद से इसे चलाने की बात कही है. 

क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?
टरनेशनल स्पेश स्टेशन यानी आईएसएस को अंतरिक्ष में घूमता हुआ एक घर कह सकते हैं. इसमें अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. एक तरीके से यह स्टेशन अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए घर और प्रयोगशाला की तरह है. यहां उनके रहने से लेकर खाने पीने और प्रयोग के लिए सभी चीजें मौजूद रहती हैं. इसमें अंतरिक्ष यात्री हफ्तों या महीनों तक रहते हैं और माइक्रोग्रैविटी में रहकर विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं. रूस, अमेरिका, जापान, कनाडा और यूरोप की मदद से यह मिशन 1998 में शुरू किया गया था. अब तक करीब 20 से ज्यादा देशों के 200 से ज्यादा अंतरिक्ष यात्री इस स्पेस स्टेशन की यात्रा कर चुके हैं. रूस और अमेरिका आईएसएस कार्यक्रम (ISS Program) में प्रमुख भागीदार हैं, जिसमें कनाडा, जापान, फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे कई यूरोपीय देश भी शामिल हैं. 

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22 साल से कभी नहीं रहा खाली 
पहली बार आईएसएस पर 2 नवंबर, 2000 को कोई मनुष्य पहुंचा था. इसके बाद से आज तक यह कभी खाली नहीं रहा. आईएसएस पर अब तक कुल 100 बिलियन डॉलर से ज़्यादा खर्च हो चुका है. यानी लगभग 75 खरब रुपए. ये अब तक बनाई गई दुनिया की सबसे महंगी चीजों में से एक है. पृथ्वी से 100 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष शुरू होता है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर है. ये एक जगह स्थिर नहीं है. ये करीब 28,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इतनी स्पीड से ये 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेता है. अंतरिक्ष स्टेशन का वजन करीब 500 टन है. यह एक फुटबॉल मैदान के जितना बड़ा अंतरिक्ष स्टेशन है. कई देशों के सहयोग से संचालित हो रहे इस स्टेशन की लागत करीब 15 हजार करोड़ यूएस डॉलर आंकी गई है.
 
रूस बनाना चाहता है खुद का स्पेस स्टेशन 
रूस अब अपने बलबूते अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और प्रबंधन करने की योजना बना रहा है, जिसे वह 2030 तक कक्षा में लॉन्च करना चाहता है. इंटरफैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के अंतरिक्ष मॉड्यूल को एनर्जिया कॉर्पोरेशन द्वारा असेंबल किया जा रहा है, और इसकी न्यूनतम लागत 5 बिलियन डॉलर है. खास बात यह है कि, रूस 2025 तक खुद आईएसएस से अलग होने की घोषणा कर चुका है.  

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रूस के बिना कैसे चलेगा  ISS?
रूस के बयान के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने रूसी मदद के बिना अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के परिचालन के तरीके तलाशने शुरू कर दिए हैं. हालांकि उसके लिए यह आसान नहीं होगा. आईएसएस मिशन में अमेरिका का काम इसके लिए ऊर्जा और यहां आने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाने पीने से लेकर अन्य जरूरी चीजों का इंतजाम करना है. वहीं रूस का काम स्टेशन के परिचालन और तकनीकी मदद मुहैया कराना है. ऐसे में नासा को नए सिरे से इसके परिचालन का तरीका तलाशना होगा. आईएसएस की कक्षा और अंतरिक्ष में स्थान रूसी इंजनों द्वारा नियंत्रित होते हैं. अगर रूस इससे अलग होता है तो यह स्टेशन अनियंत्रित होकर कक्षा से बाहर चला जाएगा जिससे यह पृथ्वी पर गिर सकता है.  

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